नमस्कार दोस्तों आज हम आपको बताएंगे कि इस कलयुग में स्वर्ग लोक और बैकुंठ कहां है kalyug me swarg lok aur be kunth dham kanha hai
जिसका जवाब आज तक किसी ने नहीं दिया यह एक रहस्य बना हुआ है
फिर भी हम इनका जवाब ढूंढने का प्रयास करते रहते हैं
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क्योंकि रामायण महाभारत और गीता जैसी ग्रंथों में बताया गया है कि स्वर्ग लोक बैकुंठ धाम इस ब्रह्माड में है और हम लोग अक्सर टीवी मोबाइल फोन में धार्मिक सीरियल रामायण या महाभारत देखते हैं
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उनमें भी स्वर्ग और वैकुंठ का सीन दिखाया जाता है जिसे देखकर अक्सर हमारे मन में एक सवाल उत्पन्न होता है कि इस कलयुग में स्वर्ग लोक और बैकुंठ धाम कहां है. जब स्वर्ग लोक और वैकुंठधाम की उपस्थिति बताई जाती है तो आखिर कहां है क्या कलयुग में भी स्वर्ग लोक और बैकुंठधाम कहां है और अगर है तो दिखाई क्यों नहीं देता जिनका जवाब लगभग किसी के पास नहीं होता लेकिन फिर भी हम उनके जवाब ढूंढने में लगे रहते हैं
हम धर्म से जुड़ी बात पढ़ते हैं तो उन सभी से यही पता चलता है कि इस ब्रह्मांड में कहीं स्वर्ग लोक स्थित है जहां इंसान मृत्यु के बाद ही जा सकता है मन में सवाल आता है कि क्या सच में अंतरिक्ष में स्वर्ग लोक उसे देखा भी जा सकता है क्या मृत्यु के बिना भी वहां तक पहुंचा जा सकता है।
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तथा बैकुंठधाम जिसे हम परमपिता परमेश्वर श्री नारायण जी का निवास स्थान भी कहते हैं वह अंतरिक्ष में कहां स्थित है सभी बातें आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको बताएंगे स्वर्ग लोक और बैकुंठ लोक कहां स्थित है।
स्वर्ग लोक और बैकुंठ धाम कहां है ( swarg lok aur be kunth dham kanha hai )
तो चलिए जानते हैं इस ब्रह्मांड में स्वर्ग लोक और बैकुंठ धाम कहां है swarglok aur bekunth dham kanha hai हर मनुष्य की मृत्यु के पश्चात स्वर्ग लोक जाने की इच्छा रखते हैं पौराणिक कथाओं के अनुसार बताया गया है कि अच्छे कर्म करने वाले मनुष्य जो अपने जीवन में सबसे ज्यादा पुण्य काम करता है
जो दूसरों की मदद करता है जो गरीबों को भोजन देता है जो दान पुण्य करता है जो पूजा-पाठ और सच्चे हृदय से भगवान की पूजा आराधना करता है उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है और वह मृत्यु के पश्चात स्वर्ग में जाकर स्वार्थी सुखों का आनंद लेता है
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और जो मनुष्य अपने पूरे जीवन में कभी भी किसी को दान नहीं देता अपने पूरे जीवन में दान पुण्य का काम नहीं करता है जो दूसरों की मदद नहीं करता है जो अपने पूरे जीवन में पूजा पाठ का काम नहीं करता है जो दूसरे को सताता है किसी का मदद नहीं करता है
जब उसकी मृत्यु होती है उसे नरक मिलता है और नर्क में उसे उसके कर्मों के अनुसार दंड दिया जाता है इसलिए मृत्यु के पश्चात हर कोई स्वर्ग जाना चाहता है सतयुग त्रेता युग द्वापर युग मैं बताए गए कथा के अनुसार इस ब्रह्मांड में स्वर्ग लोक और बैकुंठ धाम की उल्लेख किया गया है लेकिन इस कलयुग में स्वर्ग लोक और बैकुंठ धाम किसी ने नहीं देखा है बस इसे हम कहानियों में पढ़ते हैं रामायण और महाभारत गीता जैसी ग्रंथों में स्वर्ग लोक पर बैकुंठ धाम का उल्लेख किया गया है लेकिन हमें यह सब सुनने के बाद अक्सर हमारे मन में यह सवाल आता है।
कि यदि सतयुग त्रेता युग द्वापर युग मैं ऋषि मुनि तपस्वी साधु महात्मा जीवित ही स्वर्ग का भ्रमण कर आते थे उस समय सबको पता था कि स्वर्ग लोक और बैकुंठ धाम कहां है त्रेता युग में राजा दशरथ देवताओं की ओर से युद्ध करने के लिए स्वर्ग लोग जाते थे द्वापर युग में अर्जुन दिव्यास्त्र की खोज में स्वर्ग लोक गए और महाभारत के युद्ध की तैयारी के लिए स्वर्ग लोक जाकर दिव्यास्त्र प्राप्त किए लेकिन इस कलयुग में स्वर्ग लोक और बैकुंठ धाम कहां है।
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आज की वैज्ञानिक भी इसका पूरा पता लगाने की कोशिश की कि इस ब्रह्मांड में इस कलयुग में स्वर्ग लोक और बैकुंठ धाम कहां है क्योंकि आजकल पहले जैसी देविक शक्तियां किसी के पास है नहीं जिससे वह स्वर्ग लोक का पता लगा सके तो चलिए सबसे पहले हम यह जानते हैं कि स्वर्ग लोक कहां है।
स्वर्ग लोक कहां है ( swarglok kanha hai )
इस कलयुग में स्वर्ग लोक की उपस्थिति ध्रुव तारे की ओर बताया गया है यह वही ध्रुवतारा है जिसे रात को आकाश में अक्सर पृथ्वी के उत्तर दिशा में दिखाई देता है ध्रुव तारा को आप पृथ्वी के किसी भाग में जाकर देखें यह आपको उत्तर दिशा की ओर दिखाई देगा आकाश में जितने भी तारे हैं
उसमें से ध्रुव तारा को आसानी से पहचाना जा सकता है यह सब तारे की अपेक्षा में बड़ी रहती है और यह हमें उत्तर दिशा की ओर दिखाई देती है जिसे हम गोल्ड स्टार भी कहते हैं आज जिसे हम ध्रुव तारा के नाम से जानते हैं
त्रेता युग सतयुग और द्वापर युग में इसे भुवर लोक कहा जाता था जो कि हमारे पृथ्वी से लगभग 14 लाख योजन दूर है जहां पहले के जमाने में सप्त ऋषि और सीधी मुनि निवास करते थे और भुवर लोक के बाद स्वर्ग लोक आता है जोकि भुवर लोक से लगभग एक करोड़ योजन की दूरी पर स्थित है जो स्वर्ग लोक का एक भाग है
जिसे मेहर लोक कहा जाता है लेकिन यहां भी एक कल तक जीवित रह सकते हैं यह स्वर्गलोक जैसा ही दिखाई देता है यहां भगवान के भक्ति करने वाला बड़े-बड़े तपस्वी ऋषि मुनि निवास करते हैं
स्वर्ग लॉक मैहर लोक से लगभग दो करोड़ योजन की दूरी पर है जिसे जनलोक कहा जाता है यह वही स्वर्ग लोक जहां देवी देवता निवास करते हैं जहां मनुष्य की मृत्यु के बाद पुण्य आत्मा जाती है जहां जाने के बाद स्वर्ग के देवी देवता के दर्शन होते हैं
और जहां मृत्यु के पश्चात पहुंचा जा सकता है यह वही स्वर्ग लोक है जिसे जानने का प्रयास हम अक्सर किया करते हैं और जहां लोग मृत्यु के पश्चात स्वर्ग लोक जाना चाहते हैं जिस स्वर्ग को पाने के लिए ऋषि मुनि वर्षों तक तपस्या करते हैं स्वर्ग लोक जाने के लिए अपने जीवन में अच्छे कर्म करना चाहिए अच्छे कर्म करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है
बैकुंठ धाम कहां है ( be kunth dham kanha hai )
वैसे तो इस कलयुग में बैकुंठ धाम इसी धरती पर भी बताया गया है इसके अलावा स्वर्ग लोक के ऊपर विष्णु लोक और उससे भी ऊपर बैकुंठ धाम स्थित है और इस धरती पर भी बैकुंठ धाम की उपस्थिति बताया गया है
जगरनाथ, द्वारकापुरी, रामेश्वरम और बद्रीनाथ को बैकुंठ धाम कहा जाता है ऐसा माना जाता है कि इस कलयुग में जो भी जगरनाथ द्वारिकापुरी रामेश्वरम और बद्रीनाथ चारों धाम की यात्रा करते हैं और सच्ची श्रद्धा मन से भगवान विष्णु की आराधना करते हैं उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है वह जन्म जन्मांतर से मुक्त हो जाता है और बैकुंठ जाने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
लेकिन वैज्ञानिक की कथन के अनुसार स्वर्ग लोक के ऊपर तपोलोक है और तपो लौक के ऊपर सत्यलोक हैं जो कि तपोलोक से 12 करोड़ योजन की दूरी पर है जिसे ब्रह्मलोक कहते हैं जहां ब्रह्मा जी और माता सरस्वती निवास करते हैं ब्रह्मा जी इस सृष्टि की रचयिता है जिसने मानव का सृजन किया है जो हमारे परम पिता है जो हमारी जन्मदाता है वह इस ब्रह्मलोक में निवास करते हैं।
बैकुंठ धाम जाम भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी निवास करते हैं ब्रह्मलोक से लगभग 2 करोड़ 63 लाख योजन की दूरी पर स्थित है जिसे परमधाम कहा जाता है जो भी जीवात्मा मृत्यु के पश्चात परम धाम को जाते हैं उसे जन्म जन्मांतर से मुक्ति मिल जाती है बैकुंठ धाम को विष्णु लोक भी कहते हैं यहां आने वाली आत्मा जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है बैकुंठ धाम सबसे ऊपर स्थित है इसलिए इसे सर्वोच्च कहा जाता है।
बैकुंठ धाम जाने का और मोक्ष प्राप्ति का सरल मार्ग क्या है ( be kunth dham jane ka aur mauksha prapti ka saral marg kya hai)
यही सवाल बर्बरीक ने अपनी दादी हिडिंबा से किया था कि है माता मही मोक्ष प्राप्ति का सरल मार्ग क्या है भगवान विष्णु का परम धाम बैकुंठ जाने का सरल मार्ग क्या है जन्म जन्मांतर से मुक्त होने के लिए हमें क्या करना चाहिए तब हिडिंबा बर्बरीक से कहा प्रभु नारायण के दर्शन के लिए ऋषि मुनि करोड़ों वर्षों तक तपस्या करते हैं लेकिन इसमें से भी बहुत कम ऐसे तपस्वी होते हैं जो कि प्रभु श्री नारायण के दर्शन कर पाते हैं ऐसे में यदि तुम को मोक्ष चाहिए तो प्रभु श्री हरि के हाथों से मृत्यु को प्राप्त करना होगा तो ही तुम प्रभु श्री नारायण के हाथों से मृत्यु प्राप्त करने के पश्चात मोक्ष को प्राप्त कर सकते हो नहीं तो तुम्हें ऋषि मुनि की तरह वर्षों तक तपस्या करनी होगी।
तब बर्बरीक मोक्ष प्राप्ति का सरल मार्ग चुना और ऐसे तीन अस्त्र प्राप्त किए जो कि एक ही पल में महाभारत को ही समाप्त कर सकता था और तीन अस्त्र को लेकर कुरुक्षेत्र की ओर चल दिए जब यह बात श्रीकृष्ण को ज्ञात हुई तब श्री कृष्ण फरवरी को कुरुक्षेत्र के मैदान मैं पहुंचने से पहले ही रोक लिया
और उनसे सवाल किया कि तुम कौन हो और यह तीन अस्त्र लेकर कहां चल दिए तब बर्बरीक ने उत्तर दिया मैं पांडव भीम का पौत्र घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक हूं मैं भी महाभारत के युद्ध में भाग लेने के लिए आया हूं तब भगवान श्रीकृष्ण प्रश्न किया कि तुम किसके और से युद्ध लड़ो गे तब बर्बरीक ने कहा इस महाभारत के युद्ध में जिसकी हार होगी मैं उसकी ओर से युद्ध लड़ लूंगा लेकिन तुम्हारे तरकस में तीन ही बान है
इससे तुम क्या कर लोगे तब बर्बरीक ने कहा मैं इस तीन बाण से एक ही पल में पूरा महाभारत को समाप्त कर सकता हूं भगवान श्री कृष्ण ने उसकी की परीक्षा ली और बर्बरीक एक पीपल के पेड़ के सारे पत्ते को एक ही बान से भेद दिया भगवान श्री कृष्ण पीपल के पत्ते को अपने पद के नीचे दवा लिया लेकिन जब वह अपना पैरे हटाया आया तो देखा कि उस पत्ते में भी छेद हो चुका था
तब भगवान श्रीकृष्ण ने समझ में आ गया कि यदि पांडवों को महाभारत में जीत भी होती है तो बर्बरीक गौरव की ओर से लड़ेगा और बर्बरीक से कोई भी नहीं जीत सकता है और भगवान श्री कृष्ण महाभारत के युद्ध में पांडवों का साथ दे रहे थे क्योंकि पांडव धर्म की ओर से लड़ रहा था इसलिए पांडवों की जीत के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से बर्बरीक का सिर धड़ से अलग कर दिया जिससे बर्बरीक का श्री कृष्ण के हाथों मृत्यु होने के करण उसे मोक्ष प्राप्त हुआ और वह विष्णु लोक भगवान विष्णु के परम धाम बैकुंठ धाम गए और जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो गया
कलयुग में बैकुंठ धाम जाने में कितना समय लगेगा ( kalyug me be kunth dham jane me kitna samaye lagega )
पूर्व समय में बैकुंठ धाम जाने के लिए देवी-देवता ऋषि मुनि देवी शक्तियां और तपस्या कि साधना से पल भर में है स्वर्ग लोक और बैकुंठ धाम की यात्रा कर लेते थे और महर्षि नारद मुनि तो तीनो लोग का भ्रमण अक्सर किया करते थे लेकिन आज के जमाने में यदि हम बैकुंठ लोक किसी विमान की सहायता से जाना चाहेंगे तो 28,000 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से अंतरिक्ष में उड़ान भरेंगे तो लगभग 1500000 साल तक का समय लग जाएगा चौकी पृथ्वी लोक से वैकुंठ लोक का दूरी लगभग 10 नील 50 खरब किलोमीटर से भी ज्यादा है जहां जीवित इंसान को पहुंचना नामुमकिन है क्योंकि हम इतने वर्षों तक इस कलयुग में जीवित नहीं रहा सकते हैं
कलयुग में स्वर्ग लोक जाने का सरल मार्ग क्या है (kalyug me swarg lok jane ka marg kya hai )
गरुड़ पुराण के अनुसार यही सवाल नारद मुनि भगवान विष्णु से पूछा हे प्रभु अब कलयुग का आगमन होने वाला है और इस युग में पाप और अत्याचार बढ़ जाएगा सारे मानव जाति स्वार्थी हो जाएंगे भाई भाई से लड़ेंगे हमेशा एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे आप तो ऐसी अवस्था में मानव जाति है स्वर्ग को कैसे प्राप्त कर सकता है स्वर्ग लोक जाने का सरल मार्ग क्या होगा तब भगवान विष्णु ने कहा हे नारद मुनि इस कलयुग में भी स्वर्ग लोक प्राप्त कर सकते हैं इसके लिए मानव जाति को धर्म का कार्य करना होगा प्रभु की भक्ति करनी होगी
तब नारद मुनि पुणे भगवान विष्णु शिव बोले हे प्रभु स्वर्ग लोक जाने का सरल मार्ग क्या होगा तब भगवान विष्णु ने कहा हे नारद मुनि इस कलयुग में भी स्वर्ग लोक प्राप्त कर सकते हैं इसके लिए मानव जाति को धर्म का कार्य करना होगा प्रभु की भक्ति करनी होगी गरीबों को दान देना होगा दूसरों की मदद करें समाज सेवा करें गौ सेवा करें निस्वार्थ होकर दूसरों की मदद करें अपने जीवन में हमेशा पुण्य का काम करें कभी भी किसी को सताए नहीं
जो अपने पूरे जीवन में में कोई भी पाप नहीं करेगा जो हमारी भक्ति सच्चे मन से करेगा निस्वार्थ होकर हमारी आराधना करेगा उसे इस कलयुग में भी है मृत्यु के पश्चात स्वर्ग लोक में स्थान मिलेगा
अंतिम शब्द
आज हमने आपको बताया कि कलयुग में स्वर्ग लोक और बैकुंठ धाम कहां
Kalyug me swarg lok aur be kunth dham kanha hai
Kalyug me Swarg lok kanha hai
Kalyug me be kunth dham kanha hai
Be kunth dham ka aur mauksh prapti ka saral marg kya hai
2024 me swarg lok aur be kunth dham kanha hai
Kalyug me be kunth dham jane me kitna samay lagega
जिससे आप आसानी से जान पाएंगे कि कलयुग में स्वर्ग लोक और बैकुंठ धाम कहां है और इस कलयुग में स्वर्ग लोक और बैकुंठ धाम कहां है पूरा विस्तार से बताया है
मैं आशा करता हूं कि आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा आपके मन में उठ रहे सवाल का जवाब आपको मिल गया होगाआपको पता लग गया होगा क्या कलयुग में स्वर्ग लोक और बैकुंठ धाम कहां है अगर इस पोस्ट से जुड़ी आपके मन में कोई सवाल हो तो कमेंट में हमें जरूर बताएं और अगर हमारा पोस्ट पसंद आया हो तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें
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