मनुष्य की मृत्यु के बाद, आत्मा कहां जाति हैं manusya ki mrityu ke bad aatma kanha jati hai
आज आपको हम बताएंगे कि मनुष्य की मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है मृत्यु एक अटल सत्य है यह शरीर नश्वर है जो भी प्राणी जन्म लेता है उसका मरना निश्चित है
लेकिन बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि मरने के बाद यह आत्मा कहां जाती है उस आत्मा के साथ क्या होता है जिस किसी से भी यह पूछा गया कि मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है या उस आत्मा के साथ क्या होता है सबने अलग-अलग जवाब दीया कोई कहता है
8400000 योनियों में जन्म लेने के बाद फिर से उसका मनुष्य योनि में जन्म होता है लेकिन उससे यह पता नहीं चलता है कि मनुष्य की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा जाती कहां है उस आत्मा के साथ क्या होता है तो चलिए आज हम जानते हैं कि मनुष्य की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा कहां जाती है उस आत्मा के साथ क्या होता है
गरुड़ पुराण में बताई गई है इंसान की मृत्यु के बाद आत्मा यमलोक जाती हैं
गरुड़ पुराण के बारे में आप लोग जरूर सुने होंग जब किसी की मृत्यु होती है उस समय गरुड़ पुराण की कथा सुनाई जाती है गरुड़ पुराण एक ऐसी कथा है जो मनुष्य के मृत्यु के पश्चात ही सुनाई जाती हैं इस कथा में मनुष्य के मृत्य मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है और वह सातवां के साथ क्या होता है लेकिन यह अटल सत्य है
लेकर हर किसी में अलग-अलग धारणाएं बनी हुई है लेकिन मृत्यु के बाद क्या होता है सच्चाई बहुत पहले बताई जा चुकी है गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद क्या होता है वह सारी बातें विस्तार रूप से बताई गई है जो इंसान को जानना जरूरी है।
समय चक्र में गरुड़ पुराण के अनुसार भगवान विष्णु जी ने अपने वाहन गरुड़ को मृत्यु से जुड़ी अनेकों बातें बताई है मृत्यु के बाद आत्मा यमलोक तक किस प्रकार की जाती हैं इसका विस्तृत वर्णन भी गरुड़ पुराण में किया गया है आज हम आपको गरुड़ पुराण में लिखी कुछ ऐसी स्वरूप बातें बता रहे हैं
मृत्यु के समय बोलने और सुनने की शक्ति नष्ट हो जाती है
गरुड़ पुराण के अनुसार मनुष्य की मृत्यु होने वाली होती है वह बोलना चाहता है लेकिन बोल नहीं पाता अंत समय में उसकी सभी इंद्रियां बोलने सुनने आदि की शक्ति नष्ट हो जाती है और वह हिलडुल भी नहीं पाता उसके आंखों के सामने अंधेरा छाने लगता है
यमलोक जाती है
जब किसी इंसान की मृत्यु होती है तो उस आत्मा को लेने के लिए यमराज अपने दो यमदूत भेजते हैं जब मृत्यु का समय निकट पूरा हो जाता है तो
उस समय यमलोक से दो यमदूत आते हैं और उसे यमलोक ले जाते हैं
उस जीव आत्मा को रास्ते में थकने पर भी यमराज के दूत डराते हैं और उसे नर्क में मिलने वाली दुखों के बारे में बार-बार बताते हैं यमदूत की ऐसी भयानक बातें सुनकर आत्मा जोर जोर से रोने लगती है पर उस पर बिल्कुल भी दया नहीं करते इसके बाद वह जीव गर्म हवा में चल नहीं पाते और भूख प्यास से तड़पते हैं।
और बार-बार गिरते हैं तब यमराज के दूत उसके पीठ पर कोड़े मार कर उसे आगे ले जाते हैं वह जीव जगह-जगह पर गिरती है और बेहोश हो जाती हैं फिर उठ कर चलती है इस प्रकार यमदूत जीवात्मा को अंधकार वाले रास्ते से यमलोक ले जाते हैं
यमलोक पृथ्वी से 99 हजार योजन दूर है
गरुड़ पुराण के अनुसार यमलोक पृथ्वी से 99 हजार योजन दूर है
एक योजन बराबर 4 कोस होता है
यानी यमलोक हमारे पृथ्वी से 316 किलोमीटर स्थित है
वहां यमदूत पापी जीव को थोड़े ही देर में ले जाते हैं इसके बाद यमदूत उसे सजा देते हैं इसके बाद वह जीवात्मा यमराज की आज्ञा से यमदूतओं के साथ फिर से अपने घर आती है वह जीवात्मा धरती पर आकर अपने शरीर में में फिर से प्रवेश करने की कोशिश करती है लेकिन यमदूत के बंधन में होने के कारण वह अपने शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती है और भूख प्यास के कारण रोती है
अगर उसका परिजन पिंडदान नहीं करते हैं तो आत्मा प्रेत बन जाती है
उनका पुत्र जो पिंडदान करते हैं उससे उनके तृप्ति पूरी नहीं हो पाती है इस प्रकार भूख प्यास से युक्त होकर वह जीव यमलोक जाता है इसके बाद उनका पुत्र या अन्य परिजन पिंडदान नहीं देते हैं तब वह आत्मा वह आत्मा प्रेत बन जाती है और लंबे समय तक सुनसान जंगल मैं रहती है और वह अपने मुक्ति की प्रतीक्षा करते रहते हैं
पिंड दान करने से मृत आत्मा को शक्ति प्राप्त होती है
गरुड़ पुराण के अनुसार मनुष्य के मृत्यु के दसवे दिन बाद पिंडदान अवश्य करना चाहिए पिंडदान से ही आत्मा को चलने की शक्ति प्राप्त होती है धरती पर जो हम पुण्य और पाप की कर्म करते हैं वही मृत्यु के पश्चात जो आत्मा निकलती हैं वही आत्मा यमलोक जाने के मार्ग में शुभ अशुभ फल को भोगता है
इस प्रकार हर दिवस किया गया पिंडदान से आत्मा को शक्ति मिलती हैं
पहले दिन पिंडदान से - मुर्दा यानी सिर
दूसरे दिन पिंडदान से - गर्दन और कंधे
तीसरे दिन से पिंड दान से - ह्रदय
चौथे दिन पिंडदान से - पीठ
पांचवें दिन पिंड दान से - नाभि
छठे और सातवें दिन पिंड दान से. - कमर और नीचे का भाग
आठवें दिन पिंड दान से. - पैर
नौवें और दसवें दिन से - भूख प्यास यादी उत्पन्न होती है
13 दिन के बाद यमदूत फिर से आत्मा को पकड़कर यमलोक ले जाते हैं
यमलोक जाने के लिए आत्मा को वैतरणी नदी पार करना होता है
जब शरीर से निकलकर आत्मा यमलोक की मार्ग की ओर जाते हैं उस मार्ग में अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है उसी मार्ग में एक नदी पड़ती हैं जिसका नाम वैतरणी नदी है जो कि देखने में बहुत भयानक है और जो भी पापी आत्मा इस नदी से होकर गुजरती है उसे बड़ा ही भयभीत कराती है किस नदी को पार करने के लिए उस आत्मा की किया गया पुण्य और दान की फल सबरूप वह आत्मा वैतरणी नदी पार कर पाती है इसलिए मृत्यु के पश्चात गोदान किया जाता है जो कि उस आत्मा को वेतरणी नदी पार करने में उसकी मदद करता है
यमलोक में उस आत्मा को यमराज की सभा में पेश किया जाता है
जब वह आत्मा पृथ्वी से यमलोक की दूरी तय करके यमलोक पहुंच जाता है फिर उस मनुष्य की आत्मा को यमराज की सभा में पेश किया जाता है जहां यमराज उनके कर्मफल के गन्ना करते हैं जो मनुष्य अच्छे कर्म करते हैं उनकी आत्मा को स्वर्ग में स्थान मिलता है और जिनके बुरे कर्म होते हैं उसे नर्क में भेज दिया जाता है
अच्छे कर्म किए जाने वाले मनुष्य के आत्मा को स्वर्ग का सुख मिलता है
वह मनुष्य जो अच्छे कर्म करते हैं दान पुण्य यह दूसरों की मदद करते हैं जव की मृत्यु होती हैं तब उनकी आत्मा निकलकर सीधा स्वर्ग पहुंच जाता है और वहां स्वर्ग सुख भोगता है
बुरे कर्म किए गए मनुष्य की आत्मा को नरक मिलता है
वह मनुष्य जो अपने जीवन काल में बुरे कर्म करते हैं जो दान पुण्य नहीं करताया जो दूसरे को कष्ट पहुंचाता है जब उस मनुष्य की मृत्यु होती है और उनके आत्मा यमलोक पहुंचते हैं तब यमराज वहां उसे उनके कर्म के अनुसार नर्क में भेज देता है जहां उसे अनेकों कष्ट दाई यातनाएं दी जाती हैं जिसे सुनकर रूह कांप जाती है
अंतिम शब्द
आज हमने आपको बताया कि हम मनुष्य के बाद आत्मा कहां जाती है manushya ki mrityu ke baad aatma kanha jati hai
गरुड़ पुराण में बताया गया है
इंसान की मृत्यु के बाद आत्मा यमलोक जाती हैं
मृत्यु के समय बोलने और सुनने की शक्ति नष्ट हो जाती है
यमराज के दो यमदूत उसे लेने के लिए आते हैं
यमलोक पृथ्वी से 99000 योजन दूर है
अगर उसका परिजन पिंडदान नहीं करते हैं तो आत्मा प्रेत बन जाती हैं
पिंड दान करने से मृत आत्मा को शक्ति मिलती है
यमलोक जाने के लिए आत्मा को वितरण नदी पार करना होता है
यमलोक में उसकी आत्मा को यमराज की सभा में पेश किया जाता है
अच्छे कर्म किए गए मनुष्य की आत्मा को स्वर्ग का सुख मिलता है
बुरे कर्म किए गए मनुष्य की आत्मा को नरक मिलता है
तो दोस्तों मुझे आशा है कि मेरा यह पोस्ट मनुष्य के मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती हैं आपको पता चल गया होगा कि मनुष्य की मृत्यु के बाद उनकी आत्मा कहां जाती है और उस आत्मा के साथ क्या-क्या होता है जो मनुष्य पुण्य करते हैं उनकी आत्मा को स्वर्ग मिलता है और जो पाप करते हैं उनकी आत्मा को नरक मिलता है यदि आप स्वर्ग के सुख का आनंद लेना चाहते हैं तो पुण्य का काम करें और यदि आपको यह पोस्ट पसंद आया तो इसे शेयर कर दे
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