दोस्तों आज के लेख में हम जानेंगे कि कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता कलयुग में श्राप का असर क्यों नहीं करता है आपने देखा होगा कि प्राचीन काल में जब भी किसी को श्राप दिया जाता था तो उसकी जिंदगी बदल जाती थी यहां तक कि अगर भगवान को भी श्राप दिया गया तो भगवान के ऊपर भी श्राप का असर होता था और दिया गया श्राप वापस भी नहीं होता था श्राप के प्रभाव अनुसार उसे अपनी जिंदगी में वह कष्ट भोगना पड़ता था
सतयुग में त्रेता युग में और द्वापर युग में इन श्रपों का असर हुआ करता था लेकिन आजकल कलयुग में हम देखते हैं कि कोई अधर्मी जितना भी बुरा करता है सामने वाला जब भी उसे श्राप देता है तो वह असर नहीं करता या आपको असर करता हुआ दिखाई नहीं देता आखिर कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता आखिर क्यों जब कलयुग में इतने लोग कष्ट में हैं अधर्मियों की संख्या इतनी ज्यादा हो चुकी है उन्हें इतनी ज्यादा श्राप दिए जाते हैं फिर भी श्राप का असर बिल्कुल नहीं होता अधर्मी हमेशा गलत कार्य करते रहते हैं
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लोगों को परेशान करते रहते हैं उन्हें सताते रहते हैं और जब कोई कलयुग में श्राप देता तो उसे नहीं लगता है कलयुग में दिया गया श्राप उनके बुढ़ापे तक भी असर नहीं करता आखिर क्या कारण है कि कलयुग में श्राप असर करता ही नहीं और कैसे सतयुग और अन्य युगों में यह असर किया करता था क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है
या इसके पीछे कोई ऐसा रहस्य है जिसके बारे में हम सभी नहीं जानते हैं इसलिए दोस्तों आज के लेख में हम आपको कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता इसकी पूरी जानकारी देने जा रहे हैं
कलयुग में श्राप क्यों नही लगता kalyug me shrap kyo nahi lagta
दोस्तों आप जानना चाहते हैं कि कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता तो इसके लिए धर्म ग्रंथ और महा पुराणों को जानना होगा हिंदू धर्म में 18 महापुराण है जबकि 18 पुराण है पुराणों में कई ऐसी कथाएं बताई गई है जिनमें श्राप असर दूसरे व्यक्ति को भोगना पड़ा श्राप तब दिया जाता था जब कोई बुरा इंसान किसी के साथ बहुत ज्यादा बुरा करता था और अंदर से वह आवाज निकलती थी और वह श्राप उसे दिया जाता था
उसे श्राप का असर उसे बुरे व्यक्ति पर ऐसा होता था कि कुछ ही क्षण में वह कष्ट भोगना शुरू हो जाता था कई कथाओं में ऐसा श्राप दिया गया कि तुम एक पत्थर बन जाओ कि तुम एक जानवर बन जाओ और कुछ ही क्षणों में वह पत्थर और जानवर भी बन जाया करते थे
लेकिन अगर हम बात करें आज की कलयुग में कई लोग बहुत ज्यादा कष्ट भोग रहे हैं और बुरे इंसान उन्हें कष्ट देते जा रहे हैं वह उन्हें श्राप देने की कोशिश तो करते हैं श्राप देते भी हैं लेकिन श्राप का असर नहीं होता आखिर कैसे श्राप असर किया करते थे और कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता तो इसके लिए हमें पुरानो को खंगालना होगा
इंसान के अंदर बुराई होने के कारण कलयुग में श्राप नहीं लगता
लगभग सतयुग से ही श्राप का असर तब होता था जब श्राप देने वाला ज्ञानी हो यानी कि ध्यान से उसने अपने अंदर वह शक्ति इकट्ठा कर रखा हो और इसके अलावा उसने कोई भी बुराई ना कि हो सतयुग में इंसान ऐसे ही हुआ करते थे वह ध्यान लगाया करते थे अपने शरीर पर पूरा कंट्रोल पा लिया करते थे और ऐसी शक्ति शरीर के अंदर जमा कर लिया करते थे जिसका इस्तेमाल हमेशा अच्छाई के लिए किया करते थे और जब किसी को श्राप देते थे तो उसका श्राप तुरंत लगता था लेकिन कलयुग में इंसान के अंदर खुद ही बुराई है जिस कारण से जब किसी को श्राप देता है तो उसे श्राप नहीं लगता है
सत्य मार्ग पर न चलने के कारण कलयुग में श्राप नहीं लगता
मानव सत्य के मार्ग पर नहीं चलता हमेशा झूठ का सहारा का सहारा लेता है दिन भर में जितने भी शब्द अपने मुंह से बाहर निकलते हैं उनमें से आधे से ज्यादा झूठ बोलते हैं कलयुग में सत्य मार्ग पर न चलने के कारण भी कलयुग में श्राप नहीं लगता त्रेता युग सतयुग और द्वापर युग में भी ऋषि मुनि अपनी शक्तियों का इस्तेमाल मनुष्य की भलाई के लिए क्या करते थे
वह तपस्या से अपने अंदर शक्ति एकत्रित करके रखते थे जिससे यदि कोई किसी निर्दोष को कष्ट पहुंचता था तो उसे श्राप दे देते थे और उसका श्राप तुरंत असर करता था लेकिन आज के समय में कोई ऐसे मनुष्य नहीं है जो सत्य के मार्ग पर चलता हो जीवन में कभी झूठ ना बोला हो या फिर कोई पाप ना किया हो और यही वह कारण है जिसके कारण कलयुग में श्राप नहीं लगता क्योंकि आज के समय में मनुष्य के अंदर सत्यता है ही नहीं तो श्राप असर कहां से करेगा और लोग भी उसे समय अच्छे हुआ करते थे लगभग
कलयुग में मनुष्य के अंदर श्राप देने की शक्ति न होने के कारण
उस समय बुराई इसीलिए नहीं हुआ करती थी क्योंकि लोगों की मन में बुराई थी ही नहीं फिर भी कुछ ऐसे मनुष्य थे जो बुराई किया करते थे और जो अच्छे मनुष्य थे जिन्होंने कभी बुराई नहीं की होती थी वह जब उन्हें श्राप देते थे
तो उसे श्राप का असर जरूर होता था लेकिन हमें पता है सतयुग में धर्म के चारों स्तंभ मौजूद थे लेकिन त्रेता युग में एक स्तंभ काम हो गया यानी की 25% बुराई बढ़ने लगी थी इस कारण बुरे लोगों की संख्या भी बढ़ती गई फिर भी 75% लोग अच्छे थे अच्छे लोग कभी बुराई नहीं करते थे
और उनके अंदर जो शक्ति थी वह बढ़ती ही रहती थी और जो इंसान धीरे-धीरे बुराई के रास्ते पर चलने लगते थे उनके अंदर वह शक्ति कम होने लगती थी और यदि आपके पास किसी को श्राप देने की शक्ति है ही नहीं तो ऐसे में यदि आप किसी को श्राप देते हैं
तो शक्ति न होने के कारण आपके द्वारा दिया गया श्राप नही नहीं लगेगा इसीलिए जिस मनुष्य ने पहले ही कुछ बुरा किया हो वह किसी को श्राप दे दे तो उसका असर नहीं होता था
जबकि वह मनुष्य जो हमेशा अच्छा ही करते थे ध्यान लगाया करते थे शक्ति को खुद में रखते थे उनकी जबान से निकला हुआ वह श्राप बहुत ज्यादा असर किया करता था और बुरे इंसान को वैसे ही कष्ट भोगने पड़ते थे फिर भी जो श्राप देता था वह भी सोच समझ कर देता था ऐसा श्राप नहीं दिया जाता था जिसे बुरा मान जाए यानि कि वह खुद बुराई नहीं करना चाहते थे
अच्छाई खत्म होने के कारण कलयुग में श्राप नहीं लगता
सतयुग और त्रेतायुग में कष्ट से बहुत ज्यादा तंग आकर तब वह श्राप दिया करते जबकि द्वापर युग में 50% तक ही बुराई रह गई और द्वापर युग में धर्म के दो ही स्तंभ रह गए थे जबकि दो स्तंभ खत्म हो गए थे इस तरह से 50% बुराई आ चुकी थी जबकि 50% अभी अच्छाई मौजूद थी इसी कारण हम कह सकते हैं
आधे लोग बुरे थे आधे अच्छे थे इस तरह जब बुरे लोग किसी को श्राप देते तो उसका बिल्कुल असर नहीं होता क्योंकि उसकी पहले ही अंदर बुराई होती और वह अगर किसी और को श्राप दे तो इसका असर नहीं होता था इस समय भी जो अच्छे लोग थे उसके अंदर एक अच्छाई की शक्ति थी
और ज्ञान की शक्ति से वह अपने सर शरीर के शक्ति को बढ़ा लिया करते थे और ऐसा इंसान जो कभी बुरा ना किया हो वह जब किसी दूसरे को श्राप देता था तो उसका असर जरूर होता था और उसका श्राप भी लगता था लेकिन कलयुग में अब अच्छाई से ज्यादा बुराई हो चुकी है जिस कारण से कलयुग में श्राप देने पर कलयुग में श्राप नहीं लगता है
उसके द्वारा की गई बुराई उसके ऊपर हावी होने के कारण कलयुग में श्राप नहीं लगता
सतयुग और द्वापर युग में यदि किसी को श्राप दिया जाता था तो तुरंत लग जाता था जिस कारण से कुछ लोग सोचते हैं कि कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता इसका मुख्य कारण उसके द्वारा की गई बुराई होती है उसके द्वारा की गई बुराई उसके ऊपर हावी होने के कारण कलयुग में श्राप नहीं लगता द्वापर युग में 50% तक बुराई थी और 50% अच्छाई बची हुई थी
जिसमें से जो अच्छे लोग थे वह श्राप देते थे तो तुरंत लग जाता था क्योंकि उसे समय भी जो अच्छे लोग थे वह ध्यान और तपस्या करके अपनी शक्ति बढ़ा लेते थे और इस शक्ति का उपयोग करके जब किसी को श्राप दे देते थे तो तुरंत श्राप लग जाता था लेकिन अब कलयुग में ऐसे लोग बहुत कम देखने को मिलते हैं
अगर कोई साधु संत भी है तो उसके मन में भी लालच भरा हुआ है जिस कारण से वह साधन तो करते हैं लेकिन पूरे मन से ध्यान नहीं लगा पाते और अपने अंदर ऐसा शक्ति नहीं ला पाते जिसके द्वारा वह किसी को श्राप दे सके और उसने जीवन में जो बुराई की है वह बुराई उसके ऊपर हावी हो जाता है बुराई हावी होने के कारण भी कलयुग में दिए गए श्राप नहीं लगता है
मनुष्य के अंदर दिव्य शक्तियों ना होने के कारण कलयुग में श्राप नहीं लगता
मनुष्य के अंदर दीप शक्ति आना होने के कारण कलयुग में श्राप नहीं लगता है सतयुग, त्रेता युग और द्वापरयुग में मैं दैविक शक्तियों भी थी जिसे तपस्या करके ईश्वर को पसंद करके प्राप्त किया जाता था लेकिन कलयुग में ऐसी कोई देवी शक्तियां नहीं है अगर है भी तो कोई उसे प्राप्त नहीं कर पता है कलयुग में भगवान का दर्शन होना भी दुर्लभ हो गया है जिस कारण से कोई भी दिव्य शक्तियां प्राप्त नहीं कर पाते हैं जिसके बल पर किसी को श्राप दे सके
लगभग हर इंसान ही बुरा होता जा रहा है इसीलिए जब उसे कष्ट मिलते हैं तो उसे कर्मों का फल ही कहा जाता है फिर भी वह इंसान जब किसी और को श्राप देता भी है तो उसकी जो अपनी की गई बुराइयां है उसे पर हावी हो जाती हैं और वह शक्ति तो उसके शरीर में मौजूद ही नहीं होती जिससे दूसरे के शरीर में असर हो फिर भी कहा जाता है
कि इंसान 25% अच्छाई अपने अंदर समाए हुए होते हैं तो श्राप का असर तो होता है लेकिन बहुत ही धीमा होता है कोई बुरा इंसान जो अत्यधिक बुराई करता हो अगर वह श्राप दे तो दूसरे को बिल्कुल भी असर नहीं होता उल्टा उस श्राप का असर उस पर ही होता है या किसी और की श्राप का असर उस पर हो रहा होता है
दूसरे के बारे में बुरा सोचने के कारण कलयुग में श्राप नहीं लगता
कलयुग में इतनी ज्यादा बुराई है कि हर कोई व्यक्ति दूसरे के बारे में बुरा ही सोच रहा है इसलिए हर कोई दूसरे को श्राप देता ही रहता है हर किसी के जीवन के साथ इतने ज्यादा श्राप जुड़े होते हैं जब कोई अपने मन से कष्ट को भोगने के बाद श्राप देता है और वह पूरी तरह से अच्छाई को अपना चुका होता है तब उसे श्राप का असर होता है यानी ऐसे लोग यदि किसी को श्राप देता है तो तुरंत लगता है लेकिन इस कलयुग कहा जाता है यानी की काली का योग किस युग में अच्छाई बहुत कम है तो शराब के असर करने का समय भी बहुत अधिक हो चुका है यह गोल्डन एज है कलयुग की पहले 10000 सालों को कलयुग का सबसे अच्छा 10000 साल कहा गया है
कलयुग में श्राप का असर कम होने के कारण
बदलते युगों और समय के कारण शराब का असर धीरे-धीरे कम होना शुरू हो गया और कलयुग में श्राप बहुत कम असर करता है कलयुग में श्राप का असर बहुत धीमा होता है
लेकिन 10000 साल के बाद हर इंसान पूर्ण रूप से बुरा ही हो जाएगा तो श्राप बिल्कुल भी असर नहीं करेंगे और यह माना जाएगा कि किसी जमाने में श्राप हुआ भी नहीं करते थे पूरे इंसान ही हर तरफ होंगे और एक बुरा इंसान जो खुद बुराई करता है वह दूसरे बुरे को श्राप भी दे तो उसका असर कभी होगा भी नहीं और अगर होगा तो इतने समय बाद होगा कि उसकी मृत्यु पहले ही हो चुकी होगी
हमारे पुराणों में इसका तर्क भी समझाया गया है जब हम बड़ों से या किसी संत महात्मा से आशीर्वाद लेते हैं तो अपनी शक्ति का कुछ हिस्सा हमें दे देते हैं जिससे हमारे लिए शुभ योग शुरू हो जाता है लेकिन जब कोई श्राप देता है तो हमारे लिए अशुभ योग शुरू हो जाता है
भले ही वह इंसान जितना भी बुरा हो उसके अंदर कुछ अच्छाई तो होती ही है वह शक्ति का प्रवाह हमारी तरफ शुरू हो जाता है और अशुभ होना शुरू हो जाता है जिस कारण हमारे साथ बुरी चीज होना शुरू हो जाती हैं हमारे शरीर में कष्ट आने शुरू हो जाते हैं
हमारे जीवन में कष्ट आने शुरू हो जाते हैं भले ही यह बहुत ही धीरे-धीरे होता है लेकिन होता तो है यह तर्क हमारे पुराणों में बताया गया है शुभ योग के लिए हमें संत महात्माओं बड़ों का आशीर्वाद हमेशा लेना होता है अगर आप आशीर्वाद पर यकीन करते हैं तो आपको श्राप पर यकीन भी करना होगा
जब किसी को बहुत ज्यादा तंग किया जाता है कष्ट दिया जाता है तो उसके मन से जो आवाज निकलती है उसका असर जरूर होता है भले ही एक कलयुग हो उसमें भी असर धीमा होता है लेकिन होता है
अब दोस्तों मैं आपको जानकारी देता हूं कि वह कौन सी श्राप है जिनका असर आज भी कलयुग में इंसान भूगत रहे दरअसल ज्यादातर द्वापर युग से जुड़े हुए हैं जो कलयुग में इंसान भुगत रहे है
स्त्रियों को एक श्राप द्वापर युग में दिया गया था जिसका असर आज भी हो रहा है जब अर्जुन ने कर्ण का वध कर दिया था तो पांडवों की माता कुंती वहां पर शोक विलाप कर रही थी पांडव यह देखकर बहुत ही ज्यादा विचलित हुए जा रहे थे कि विरोधी की मौत के बाद भी हमारी माता इस तरह से विलाप क्यों कर रही है इसके बाद युधिष्ठिर ने माता कुंती के पास जाकर पूछा कि आप शत्रु कारण के वध के बाद इस तरह से विलाप क्यों कर रही है
वह तो शत्रु था आपको खुशी मनानी चाहिए तब माता कुंती ने पांडवों को बताया किया शत्रु नहीं है करण तुम्हारा भाई था यह सुनकर पांचो पांडव बहुत ही ज्यादा हैरान हो गए थे और इसके बाद उन्हें जब पूरी सच्चाई का पता चला तो युधिष्ठिर सबसे ज्यादा क्रोधित हो गए थे
उन्होंने कहा कि माता अगर आपको यह सब पहले से ही पता था तो हमें यह जानकारी आपको पहले ही दे देनी चाहिए थी आज आपही के कारण हम अपने भाई की हत्यारे हो गए अगर यह रहस्य आप हमें पहले ही बता देती तो आज हमारा भाई जिंदा होता एक भाई के हाथों दूसरे भाई का वध ना होता
आपने जानबूझकर हमसे कितना बड़ा पाप का भागीदार बना दिए आपने इतने समय तक यह बात खुद में समाकर क्यों रखी छुपा कर क्यों रखी आपकी एक मां ने हमें अपने ही भाई का हत्यारा बना दिया इसके बाद युधिष्ठिर ने माता कुंती के साथ-साथ सभी स्त्रियों को यह श्राप दिया था
कि आज जिस तरह से मेरी माता ने एक बात को खुद में छुपा कर रखा है कलयुग में कोई भी स्त्री अपने अंदर किसी भी बात को कभी छुप कर नहीं रख पाएगी इसी कारण कहा जाता है कि कलयुग में स्त्रियां अपने अंदर किसी बात को छिपा नहीं पाती और कभी ना कभी किसी न किसी को बात जरूर देती है
तो मित्रों इससे हमें यह पता चलता है कि किसी समय दिया गया श्राप भविष्य में भी काम करता रहता है और द्वापर युग का वह श्राप आज कलयुग में भी काम कर रहा है कोई भी स्थित वह किसी भी बात को अपने दिल में छुपा कर नहीं रख सकती है किसी न किसी को जरुर बताएगी इसलिए कलयुग में ऐसा भी कहा गया है कि स्त्री को कभी भी अपने मन की बात नहीं बताना चाहिए
अगर कोई गुप्त बात हो तो स्त्री से छुपा कर रखना चाहिए कलयुग में भी जो संत महात्मा है जो कभी बुराई नहीं करते वह इंसान द्वारा दिया गया श्राप भले ही धीरे-धीरे काम करता है लेकिन पूर्ण रूप से काम करता है यदि आप किसी को अधिक सताते हैं और वह आपको शराब देता है तो इसका असर जरूर होगा
तपोवल में कमी आने के कारण
अगर आपका सवाल है कि कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता तो मैं आपको बता दूं श्राप देना कोई आसान काम नहीं है कलयुग में श्राप देने के लिए आपके तपस्या करना होता है और तपोवल एकत्रित करके श्राप देना पड़ता है तभी किसी को श्राप लगेगा लेकिन कलयुग में कोई तपस्या नहीं करता है
तपोवल में कमी आने के कारण भी कलयुग में श्राप नहीं लगता और कलयुग में कोई तपस्या नहीं करता और यह हर किसी के पास की बात भी नहीं जिस तरह एक मिट्टी के घड़े में पानी भरना बेकार है मिट्टी के घड़े में पानी ठहर नहीं सकता उसी तरह उसे व्यक्ति का श्राप निरर्थक है जिसने अपने जीवन काल में कभी भी तपस्या ना कि हो तपस्या के बिना कुछ संभव नहीं है ब्रह्मा जी ने तपस्या से ही इस ब्रह्मांड की रचना की है
ग्रह और आकाशगंगाए हैं तपस्या के बिना कुछ भी सार्थक नहीं है तपस्या से हर चीज मुमकिन है लेकिन तपस्या हर किसी के पास की बात भी नहीं साक्षात्कार की बात तो छोड़ ही दें क्योंकि तपस्या के बिना छोटी-छोटी चीज भी प्राप्त नहीं होती जो भोजन आप करते हैं उससे शक्ति प्राप्त करना आसान नहीं है
अनाज को पहले सूर्य की करने में दबाया जाता है फिर पकाते समय रसोई में पाया जाता है और फिर पाचन तंत्र द्वारा तीसरी बार दबाया जाता है और तब जाकर भोजन से शक्ति प्राप्त होती है अगर आप कच्चा अनाज खा तो आपको उस शक्ति नहीं मिलेगी और अगर आप ठीक प्रकार से पका हुआ भोजन खाएं लेकिन आपका पाचन तंत्र सही नहीं है तब भी आपको उससे वह शक्ति प्राप्त नहीं होगी
भोजन में इतनी शक्ति होती है कि आपके सारे अंग और आपके दिमाग भी भोजन से मिलने वाले ऊर्जा से काम करता है लेकिन इसे बिना तपस्या के प्राप्त नहीं किया जा सकता है शराब देना भी इन्हीं बड़े कामों में से एक है अगर आपके पास तपस्या का बाल है शक्ति है तो आप किसी को भी श्राप दे सकते हैं
और आपका श्राप भी लगेगा लेकिन आपके पास यदि तपस्या की शक्ति नहीं है और आप किसी को श्राप देते हैं तो ऐसे में आपका शराब नहीं लग सकता है खासकर इस कलयुग में यदि आप किसी को श्राप देते हैं तो श्राप बिल्कुल भी असर नहीं करेगा इसलिए कलयुग में श्राप नहीं लगता
कलयुग में भगवान की भक्ति न करने के कारण
आपने जाना की श्राप देने के लिए तपस्या करने की आवश्यकता होती है अब बताते हैं कि कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता इसके लिए आपको जानी होगी कुछ बातें कलयुग के बारे में आप जानते होंगे कलयुग को कल का योग भी कहा गया है चार युगों का वर्णन सनातन धर्म में हर जगह पाया जाता है
यह चार युग है सतयुग त्रेता युग सतयुग द्वापर युग और कलयुग व प्रयोग और कलयुग के तीन युगों में साध्वी वातावरण होने के कारण साधारण लोग भी भगवान की भक्ति करने में लग जाते थे किंतु बाकी सब युगों की तरह कलयुग में भक्ति कर पाना आसान नहीं है यहां जन्म लेने वाले लोग जीवन भर कष्ट होते हैं
इस युग में राजा अपने प्रजा का शोषण करता है और धर्म ग्रंथ लुप्त हो जाते हैं और अकाल पडते रहते हैं नहीं नहीं आपदा आती रहती है और नई-नई बीमारियां भी जन्म लेती है जो महामारी बनाकर लोगों को प्रताड़ित करती रहती है और राक्षस हमेशा देवों को मारना चाहते हैं और कलयुग में राक्षसी स्वभाव के लोगों का ही बोल वाला होता है और खुद को भगवान समझने लगते हैं
कलयुग में भौतिक सुखों को सर्वश्रेष्ठ मानने के कारण
स्वयं भगवान बनने का प्रयास करते रहते हैं दूसरों के ऊपर हम चलते हैं भोली भाली जनता ढोंगी बाबा के चक्कर में पड़कर कभी भी मोक्ष की प्राप्ति नहीं कर पाते हैं इस युग में मुक्ति के द्वारा बंद हो जाते हैं जीव के कल्याण के मार्ग कहीं नजर नहीं आते
अपने केंद्रीय सुख को यहां पर सर्वश्रेष्ठ माना जाता है ईश्वर को जानने में यहां किसी की रुचि रहती भी नहीं है तपस्या का नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं और यदि यज्ञ भी करते हैं तो सिर्फ दिखावे के लिए करते हैं जिसके कारण मनुष्य निम्न गति को प्राप्त करते हैं और इसी कारण से कलयुग में श्राप नहीं लगता
अधिक दिखावा करने के कारण कलयुग में श्राप नहीं लगता
कलयुग में लोग दिखावा अधिक करते हैं और अधिक दिखावा करने के कारण कलयुग में श्राप नहीं लगता सतयुग में सब परमहंस हुआ करते थे जिन्हें केवल भगवान से मतलब हुआ करता था वह सब धर्म का पालन करने वाले व घनघोर तपस्या करने वाले होते थे और अपने पूरे जीवन में मुक्ति प्राप्त करने का प्रयास किया करते थे
सतयुग में भी जो लोग भगवान का भजन नहीं करते थे दान नहीं देते थे ऐसे लोग मुक्ति प्राप्त नहीं कर पाते थे ऐसे में कुछ लोग दूसरे जन्म में भगवान का भजन करके मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बनाते हैं लेकिन कलयुग में लोग मनमानी करते हैं और भगवान में रुचि नहीं दिखाते हैं इसलिए कलयुग में श्राप नहीं लगता है
Q कलयुग में श्राप देने के लिए क्या करना होगा?
कलयुग में श्राप देने के लिए आपके तपस्या करना होगा जैसे त्रेता युग सतयुग और द्वापर युग में मैं भगवान की तपस्या करके साधु संत दिव्य शक्तियां और वरदान किया करते थे यदि आप कलयुग में कलयुग में भगवान की भक्ति करेंगे और उसे वरदान प्राप्त कर लेंगे तो आप किसी को भी श्राप देंगे तो आपका श्राप तुरंत लगेगा
Q कलयुग में श्राप कब देना चाहिए?
यदि आपको कोई अधिक परेशान कर रहा है बार-बार मना करने पर भी वह आपको प्रताड़ित किए जा रहा है और आप कमजोर हैं उसे कुछ कर नहीं सकते ऐसी स्थिति में आप उसे श्राप दे सकते हैं लेकिन शराब देने के लिए आपके कर्म अच्छे होने चाहिए आपके पास तपोवल की शक्ति होनी चाहिए जिससे यदि आप किसी को श्राप देते हैं तो आपका श्राप तुरंत लगेगा।
Q आखिर कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता?
क्योंकि आप धर्म के कार्य नहीं करते आप धर्म के कार्य सहीन हो चुके हैं आपके पास ना तो कोई वरदान है और ना ही आपको कोई दिव्य शक्तियां प्राप्त है जिस कारण से यदि आप किसी को श्राप देते हैं तो कलयुग में आपका श्राप नहीं लगेगा।
Q क्या हम किसी को कलयुग में श्राप दे सकते हैं?
जी नहीं क्योंकि आपके पास कोई ऐसी शक्ति नहीं है जिसके बल पर आप कलयुग में किसी को श्राप दे अगर आप किसी को श्राप देना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको धर्म कार्य करना होगा भगवान की तपस्या करके उसे प्रसन्न करना होगा और उसे वरदान प्राप्त करना होगा अगर आप भगवान की वरदान प्राप्त कर लेते हैं तो आप किसी को भी श्राप दे सकते हैं।
Q बाकी युगों की तरह कलयुग में श्राप क्यों नहीं लगता?
बाकी के युगों में मनुष्य अपने कर्म और तपस्या से भगवान को प्रसन्न कर लेते थे जिस कारण से वह किसी को श्राप देते थे तो उसका शराब तुरंत लगता था अगर वह किसी को पत्थर बनने की बोल देते थे तो वह तुरंत पत्थर में परिवर्तन हो जाता था यदि किसी को भस्म होने के लिए बोल देते थे वह भस्म हो जाता था लेकिन कलयुग में बाकी लोगों की तरह नहीं तो दैविक शक्तियों हैं और ना ही किसी के कर्म अच्छे हैं जिस कारण से बाकी लोगों की तरह कलयुग में श्राप नहीं लगता
निष्कर्ष kalyug me shrap kyo nhi lagta
दोस्तों आज हमने आपको बताया कि कलयुग में श्राप क्यों नही लगता आखिर कलयुग में श्राप का असर क्यों नही करता है इसकी पूरी जानकारी बताया है जिससे आप जान गए होंगे की कलयुग में श्राप क्यों नही लगता है कलयुग में श्राप देने के लिए आपको धर्म का कार्य करना होगा अपने अंदर वह शक्ति एकत्रित करना होगा जिसके बल पर आप किसी को श्राप दे सके और हमेशा भगवान की भजन करना होगा यदि आप ऐसा करते हैं तो आप कलयुग में भी श्राप दे सकते हैं और आपका श्राप भी लगेगा
FAQS
Q कलयुग में पुण्य क्या है?
Ans दूसरों की मदद करना धर्म का कार्य करना और पूजा पाठ करना कलयुग में पुण्य माना गया है
Q क्या कलयुग में कोई श्राप दे सकता है?
Ans अगर आपके अच्छे कर्म हो आप धर्म के कार्य करते हैं आपके पास श्राप देने की शक्ति है तो आप कलयुग में भी श्राप दे सकते हैं
Q कलयुग में किसकी भक्ति करना चाहिए?
Ans कलयुग में हनुमान जी को जीवित देवता माना गया है जो कलयुग में भी जिंदा है अगर आप हनुमान जी की भक्ति करते हैं तो हनुमान जी कलयुग में आपकी सहायता तुरंत करेंगे इसके साथ ही खाटू श्याम बाबा भोलेनाथ और श्री राम की भक्ति करनी चाहिए
Q कलयुग में कौन सा देवता जीवित है?
Ans कलयुग में हनुमान जी जीवित देवता है
Q कलयुग का विनाश कौन करेगा?
Ans भगवान विष्णु कल्कि का अवतार लेकर कलयुग का विनाश करेगा
Q कलयुग सबसे अच्छा क्यों है?
Ans क्योंकि बाकी युगों में 10 वर्ष तप करने पर जितना पुण्य प्राप्त होता था कलयुग में उतना पुण्य 1 वर्ष में ही प्राप्त कर सकता है इसलिए कलयुग को सबसे अच्छा माना गया है
निष्कर्ष
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