मंगलवार, 21 जनवरी 2025

आकाल मृत्यु क्यों होती है आकाल मृत्यु होने का कारण और आकाल मृत्यु से बचने के उपाय और मंत्र

 Aakal mrityu kyo hoti hai अकाल मृत्यु कैसे होती है अकाल मृत्यु होने का कारण और बचने के उपाय    


गरुड़ पुराण में जन्म और मृत्यु से जुड़ी रहस्य को बताया गया है और गरुड़ पुराण की कथा किसी व्यक्ति के मृत्यु के पश्चात सुनाई जाती है जिसमें जन्म और मृत्यु के रहस्य को बताया जाता है


 बहुत से लोगों के मन में एक सवाल अक्सर आता है कि अकाल मृत्यु क्यों होती है aakal mrityu kyo hoti hai पर बहुत से लोगों को यह पता भी नहीं है कि अकाल मृत्यु क्यों होती है और कैसे होती है अकाल मृत्यु किसे कहते हैं तो दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको अकाल मृत्यु से जुड़े रहस्य के बारे में पूरी जानकारी देंगे 


जिसमें आप पूरे विवरण के साथ समझ पाएंगे कि आखिर अकाल मृत्यु क्यों होती है इस कलयुग में तो समय के अनुसार मनुष्य की उम्र कम होती जा रही है त्रेता युग और सतयुग में ऋषि मुनि और मनुष्य भी कई वर्षों तक जीवित रहते थे और बहुत तो ऐसे प्राणी महात्मा साधु संत थे जो त्रेता युग से लेकर द्वापर युग तक जीवित रहने का वर्णन मिलता हैं


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 रामायण के जामवंत जी जो द्वापर युग में कृष्ण की पत्नी जामवंती के पिता थे इसी से हनुमान लगता है कि त्रेता युग से लेकर द्वापर युग  कई हजारों वर्षों तक जीवित रहे लेकिन इस कलयुग में तो इस जीवन का कोई भरोसा ही नहीं है कब किसकी मृत्यु हो जाए कुछ पता ही नहीं चलता है 


इसलिए हर मनुष्य के मन में एक सवाल जरूर आता है कि अकाल मृत्यु क्यों होती है क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है आखिर अकाल मृत्यु से कैसे बचा जाए तो दोस्तों आज के पोस्ट में हम आपको अकाल मृत्यु क्यों होती है अकाल मृत्यु कैसे होती है अकाल मृत्यु से कैसे बचा जाए इसकी पूरी जानकारी देंगे पूरी जानकारी के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें




अकाल मृत्यु क्यों होती है कारण और उससे बचने के उपाय


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अगले जन्म में किए गए कर्मों के अनुसार ईश्वर दंड स्वरूप   असमय  ही व्यक्ति का प्राण शरीर से अलग कर देता है जिस कारण से उस व्यक्ति की मौत हो जाती है असमय कम उम्र मैं मृत्यु को प्राप्त होना अकाल मृत्यु कहा जाता है विधि के विधान के अनुसार जन्म के समय उस व्यक्ति की मृत्यु का समय भी निश्चित होता हैं


 जिस  व्यक्ति की मृत्यु समय से पूर्व हो जाता है उसकी आत्मा मृत्यु लोक में ही भटकती रहती है क्योंकि बिना अवधि पूरी हुई उस आत्मा का प्रवेश यमलोक या स्वर्ग लोक में नहीं होता है



अकाल मृत्यु कैसे होती है



किसी दुर्घटना बस किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसे अकाल मृत्यु की श्रेणी में गिना जाता है


कम उम्र में मृत्यु को प्राप्त होना जब किसी व्यक्ति का मृत्यु कम उम्र में हो जाती है तो उसे भी अकाल मृत्यु कहा जाता है अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु किसी दुर्घटना से हो जाती है तो सभी लोग यही कहते हैं कि अगर वहां नहीं गया होता तो उसकी मृत्यु नहीं होती और वह आज जिंदा होता किसी की मृत्यु जल में डूबने से हो जाती है तो लोगों के मन में यही प्रश्न रहता है


कि अगर वह तालाब में नहाने नहीं गया होता तो वह आज हमारे बीच होता लेकिन दोस्तों ऐसा बस लोगों का कहना है वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता क्योंकि इस धरातल पर जन्म लेने से पहले ही उस प्राणी की मृत्यु निश्चित हो जाती है यानी व्यक्ति पहले से ही अपने मृत्यु को अपने भाग्य के साथ लेकर आता है इसी बात से आपको समझ जाना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु उसके पूर्व जन्म के किए गए कर्मों के कारण होती है



अकाल मृत्यु क्या होती है



गरुड़ पुराण में अकाल मृत्यु से जुड़ी रहस्य का वर्णन किया गया है जिसमें पक्षीराज गरुड़ भगवान विष्णु से पूछते हैं कि हे प्रभु बताइए अकाल मृत्यु क्यों होती है अकाल मृत्यु क्या है तब भगवान विष्णु कहते हैं की है पक्षीराज अगर किसी प्राणी की मृत्यु समय से पूर्व किसी रोग से पीड़ित, फांसी लगाकर, तालाब में डूब कर , या किसी सर्प के डंक मारने से, किसी दुर्घटना से या खुद आत्महत्या कर लेते हैं 


 तो वह अकाल मृत्यु होती है अकाल मृत्यु किसी भी कारण से हो सकती है यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु समय से पूर्व हो जाता है तो उसे अकाल मृत्यु किस श्रेणी में गिना जाता है और अकाल मृत्यु होना शास्त्र के अनुसार इसे घृणित और निंदनीय माना गया है अगर किसी व्यक्ति के अकाल मृत्यु हो जाती है तो उसका आत्मा इसी पृथ्वी पर भटकती रहती है और अगर कोई व्यक्ति खुद आत्महत्या करता है तो इसे ईश्वर की दृष्टि में अपमान माना गया है और मनुष्य का जीवन बड़े ही कठिनाइयों से मिलता है  8400000 योनियों में जन्म लेने के बाद मनुष्य की योनि प्राप्त होता है और अगर कोई भी व्यक्ति खुद आत्महत्या कर के अपने प्राण त्याग देते हैं तो ईश्वर के अपमान करने के बराबर का पाप की भागीदारी होते हैं और उसे ईश्वर कभी क्षमा नहीं करता



अकाल मृत्यु होने के कारण



गरुड़ पुराण में अकाल मृत्यु से संबंधित पक्षीराज गरुड़ ने भगवान विष्णु से पूछा था कि अकाल मृत्यु क्यों होती है अकाल मृत्यु होने का कारण क्या है जब मृत्यु का उम्र 100 वर्ष निश्चित किया गया है तो आखिर मनुष्य की अकाल मृत्यु क्यों हो जाती है अकाल मृत्यु होने का कारण क्या है पक्षीराज की बात सुनकर श्रीहरि बताते हैं कि हे पक्षीराज आपका कथन सत्य है शास्त्र और वेदों में मनुष्य की मृत्यु का समय 100 वर्ष निर्धारित की गई है लेकिन इसमें मनुष्य का दुष्कर्म को शामिल नहीं किया गया है किसी भी मनुष्य का मृत्यु तभी होती है जब उसके पास पुण्य कार्य समाप्त हो जाता है और उसके पास सिर्फ उसके किए गए आप कार्य शेष बचता है और किसी भी मनुष्य की मृत्यु तभी होती है


जब उसके पास धर्म कार्यों के लिए शक्ति नहीं होती है उसकी शक्ति धर्म कार्य हेतु छीन हो जाती है या फिर मनुष्य का शरीर और उसका मन उसे धर्म कार्य करने की इजाजत नहीं देती है और जब मनुष्य धर्म कार्य करना छोड़ देता है तो पृथ्वी पर उसकी अवधि कम होने लगती है मनुष्य का कर्म है उसका धर्म होता है और मनुष्य की अकाल मृत्यु तभी होती है जब उसका मन धर्म कार्य करने की इजाजत नहीं देती है और धर्म जैसे कार्यों को निभाने की शक्ति उसके अंदर नहीं रह जाती है वह अपने जीवन में बुरे कर्म के अलावा कभी भी धर्म कार्य नहीं करता है मनुष्य का उम्र 100 वर्ष निर्धारित किया गया है लेकिन अपने बुरे कर्मों के कारण हुआ आपने उम्र को कम करते चला जाता है और मनुष्य को वेदों का ज्ञान ना होने के कारण वह हमेशा कुकर्म जैसे कार्य करते हैं इसलिए मनुष्य को धर्म का ज्ञान होना बहुत आवश्यक होता है जो भी व्यक्ति धर्म के कार्य करते हैं उसे कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है



अकाल मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है



गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु जी बताते हैं कि मनुष्य के जीवन के सात चक्र निश्चित है  जो मनुष्य मृत्यु से पहले यह सात चक्र पूरा नहीं कर पाते और उसकी अकाल मृत्यु हो जाती है तो उसे मृत्यु के बाद भी कई प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं अचानक अकाल मृत्यु होने के कारण मनुष्य के अंदर इच्छा कामना बनी रहती है जो अपने जीवन काल में पूरा नहीं कर पाते मनुष्य का शरीर तो नष्ट हो जाता है लेकिन उसके अंदर जो इच्छा और कामना रहती है और अपनी अधूरी इच्छा को लेकर मृत्यु के बाद भी आत्मा भटकती रहती हैं और अपने परिजनों को कष्ट पहुंच जाती है और अपनी इच्छा पूर्ति करने का प्रयास करती है ऐसी आत्माएं भूत प्रेत पिशाच योनि में भटकती रहती है


अकाल मृत्यु की आत्मा को मुक्ति कैसे मिलती है


गरुड़ पुराण में बताया जाता है कि प्राकृतिक मृत्यु होने पर उस आत्मा को 13 या 45 दिन में दूसरा शरीर प्राप्त हो जाती है और वह फिर दूसरे योनि में जन्म ले लेते हैं तथा वह याद तुम्हें हम लोग पहुंच जाती है और वहां से उसे दूसरे योनि में जन्म लेने के लिए भेज दिया जाता है लेकिन जिसकी अकाल मृत्यु होती है उसकी आत्मा भूत पिशाच बेताल जैसे योनि में भटकता ही रहता है और उसकी आत्मा को जल्दी मुक्ति नहीं मिलती है लेकिन मृत्यु के निर्धारित समय पूर्ण होने के बाद उस आत्मा को दोबारा से यमलोक में प्रवेश करने का आज्ञा मिलती है जिससे वह आत्मा यमलोक जाकर फिर से दूसरे योनि में जन्म लेते हैं



मृत्यु कितने प्रकार के होते हैं



मृत्यु दो प्रकार के होते हैं


1 सामान्य मृत्यु ( natural deaths) अपने उम्र सीमा पार करने के बाद सामान्य रूप से मौत होना सामान्य मृत्यु यानी नेचुरल डेथ कहलाता है


2 अकाल मृत्यु - किसी मनुष्य का अचानक मृत्यु हो जाना अकाल मृत्यु कहलाता है अकाल मृत्यु ईश्वर का दंड माना गया है जिसमें समय ही व्यक्ति का शरीर छिन जाता है लेकिन उसके तन से अलग हुई आत्मा को यमलोक में प्रवेश करने की इजाजत नहीं मिलती है जब तक उस आत्मा को वास्तविक मृत्यु के समय नहीं आ जाता तब तक वह आत्मा पृथ्वी लोक पर भूत पिशाच प्रेत बनकर भटकती रहती है यह तो जाहिर सी बात है कि हर आत्मा को मोक्ष प्राप्त नहीं होता इनमें से बहुत ऐसी आत्मा होती है



जो सदियों तक इसी पृथ्वी पर भूत प्रेत बनकर इसी पृथ्वी पर रह जाती है और इसका मुख्य कारण उसका अकाल मृत्यु होता है आप अक्सर देखते होंगे कि बहुत से लोग सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं और अपना प्राण त्याग देते हैं और धर्म शास्त्र के अनुसार ऐसी मौत को अकाल मृत्यु कि श्रेणी में गिना जाता है अकाल मृत्यु वह स्थिति है जिसमें शरीर तो नष्ट हो जाता है लेकिन आत्मा इस संसार में बनी रहती है



अकाल मृत्यु हो जाए तो क्या करना चाहिए


जिसकी भी परिजनों की मृत्यु अकाल मृत्यु हुई है ऐसे परिजनों को अकाल मृत्यु से बचाने के लिए नदी या तालाब में दर्पण करना चाहिए और साथ ही मृत आत्मा के शांति के लिए पिंडदान और दान पुनय करना चाहिए ताकि उसकी आत्मा को जल्द ही मुक्ति मिल सके और यह कार्य 4 से 5 वर्षों तक करना चाहिए ताकि अकाल मृत्यु की आत्मा को मुक्ति मिल सके और उसके नए जीवन का मार्ग परसत्र होता है अकाल मृत्यु की आत्मा को शांति के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध और पिंड दान करना चाहिए अगर आप पितृपक्ष में पिंडदान नहीं कर पाते हैं तो आप कृष्ण पक्ष में भी कर सकते हैं इसके साथ ही आपको नारायण बली पूजा करना चाहिए नारायण बली पूजा नारायण बली पूजा एकत्रित रूप है


जिसमें नारायण बली पूजा और नारायण नागबली पूजा सम्मिलित है नारायण बली पूजा का मुख्य उद्देश्य पितृदोष से मुक्ति दिलवाना है जब किसी व्यक्ति के परिवार में किसी की मृत्यु होती है और किसी कारणों से उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती और इनके कई कारण हो सकते हैं जैसे किसी की अकाल मृत्यु किसी दुर्घटना वर्ष हुई मृत्यु , अग्नि द्वारा जलकर मृत्यु को प्राप्त होना, आत्महत्या कर लेना प्राकृतिक आपदा जैसे सुनामी, भूकंप और इन परिस्थितियों में व्यक्ति की इच्छाएं अधूरी रहती है नारायण नागबली पूजा के माध्यम से उस आत्मा को मुक्ति मिलती है और अपने कर्मों के अनुसार उसके अगले जन्म पर शस्त्र होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति मिलती है


अकाल मृत्यु से बचने के उपाय और मंत्र


दोस्तों अकाल मृत्यु से बचा भी जा सकता है और धर्म शास्त्र में भी अकाल मृत्यु से बचने का वर्णन किया गया है वैसे तो भगवान श्री कृष्ण गीता में कहते हैं कि जिस को जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है मृत्यु को कोई टाल नहीं सकता यह प्रकृति का नियम है जो सभी प्राणियों के लिए सामान्य है जिसका मृत्यु निकट आता है उसे यम के दूध उसके सामने प्रकट होकर कई संकेत देते हैं और उस प्राणी के प्राण को यमफास में बांधकर यमलोक ले जाते हैं मनुष्य के जन्म के साथ ही उसका भाग्य और उसके आयु के बारे में लिख जाता जाता है वह अपना संपूर्ण जीवन जिएगा या उसकी अकाल मृत्यु हो जाएगी यह पहले से ही लिख दिया जाता है लेकिन विष्णु पुराण के अनुसार जिस व्यक्ति के भाग्य में अकाल मृत्यु नहीं होती है उसके अंदर 7 लक्षण दिखाई देते हैं यदि किसी व्यक्ति में यह 7 लक्षण दिखाई दे तो उसकी कभी भी अकाल मृत्यु नहीं होती है वह भगवान श्री हरि विष्णु के कृपा से वह अपनी संपूर्ण जीवन जी लेता है और सभी प्रकार के सुखों का उपयोग करता है एक समय की बात है यमराज अपने सभी दोस्तों के साथ पृथ्वी पर पांच प्राणियों के प्राण हरने हेतु पृथ्वी लोक पर आएं उस स्थान पर पांच मनुष्य प्राणी सोए हुए थे तभी यमराज ने यमदूत उसे कहा की इन 5 प्राणी में से एक का प्राण छोड़कर चारों को अपने पास में बंद कर यमलोक ले चलो यह सुनकर यम के दूत आश्चर्यचकित हुए और यमराज से पूछा हे धर्मराज इन 5 मनुष्यों में से एक मनुष्य का प्राण ना हरने का क्या कारण हैं आप हमें समझाइए किस कारण से इस एक प्राणी का अकाल मृत्यु टाल दिया गया है हमें इन में कोई अंतर दिखाई नहीं देता है


तब यमराज ने बताया कि मुझे श्री हरि विष्णु ने यमराज रूप में मुझे लोगों का पाप और पुण्य का विचार करने के लिए नियुक्त किया हुआ है मैं अपने श्रीहरि के वश में हूं मैं स्वतंत्र नहीं हूं जिस प्रकार वायु के शांत होने पर उनसे उड़ते हुए परमाणु पृथ्वी से मिलकर एक हो जाते हैं उसी प्रकार इस पृथ्वी पर जन्म लिए हुए सभी मनुष्य, पशु और जितने भी जीवात्मा है मृत्यु के पश्चात सनातन परमात्मा में लीन हो जाते हैं जिस प्राणी पर साक्षात श्री हरि विष्णु की कृपा होती है उसके प्राण करने का अधिकार मुझे नहीं है और मैं ऐसे व्यक्ति के प्राण लेने में असमर्थ हूं अतः सभी पापों से मुक्त हुए उस प्राणी को दूर से ही छोड़कर निकल जाना उचित है हाथ में पांच लिए हुए उस यमराज के दूत ने उनसे पूछा आप उस मनुष्य प्राणी के बारे में बताइए जो पुण्य कर्म उसने किए हैं और जिस कारण से उसके अकाल मृत्यु टल चुकी है इस पर यमराज ने दूत को मनुष्य के साथ लक्षणों के बारे में बताया मैं जिस व्यक्ति में यह 7 लक्षण दिखाई देंगे उसकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है


  • जो मनुष्य अपने धर्म पद से कभी विमुख नहीं होता है


  • जो अपने मित्र के साथ साथ शत्रु के साथ हुई कभी कपट नहीं करता


  • जो सदा सत्य के मार्ग पर चलकर कल्याणकारी कार्य करता है


जो मनुष्य कभी किसी का हिंसा नहीं करता जो क्रोध में आकर कभी किसी पर अत्याचार नहीं करता पुष्कर प्राणियों को कष्ट देता है प्राणियों को देखकर करना का भाव उत्पन्न होता है जो सभी पर दया करता है ऐसी प्राणियों की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है


जो मनुष्य कभी चोरी नहीं करता दूसरे के द्रव्यों का हरण नहीं करता जो दूसरों के धन को कभी अपना नहीं समझता और ऐसे व्यक्ति के मन में श्री हरि विष्णु का वास होता है और ऐसी प्राणी की कभी भी अकाल मृत्यु नहीं हो सकती


4 जो मनुष्य अपने सामर्थ्य के अनुसार समय-समय पर दान करता हैं


जो गौ माता की सेवा करता है और सदैव ही दान देने में तत्पर रहता है ऐसे मनुष्य की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है अगर उसके सामने अकाल मृत्यु आती भी है तो वह टल जाती हैं


5 जो मनुष्य दूसरों की निंदा नहीं करता मिथ्या वचन नहीं कहता है सदा सत्य बोलता है तथा ऐसे वचन नहीं बोलता जो दूसरे के मन को ठेस पहुंचे कभी किसी अपाहिज व्यक्ति की अवहेलना नहीं करता का सम्मान करता है उस व्यक्ति की अकाल मृत्यु नहीं होती है पुरुष दूसरे की पत्नी को बुरी नजर से नहीं देता जो कि वह अपने पति से एक निश्चित है दूसरे की पत्नी को माता बहन मानता है अपने से छोटी को पुत्री समझता है बराबर कि स्त्री को बहन कहता है तथा अपने आई से बड़ी स्त्री को माता के दर्शन उदित करता है ऐसे उत्तम पुरुष की अकाल मृत्यु नहीं होती है 



7 बिना स्नान किए भोजन ही करता जो नित्य श्री हरि विष्णु का नाम सुमिरन करता जो तुलसी की पूजा करता है जो तुलसी को जल अर्पण करता है ऐसे व्यक्ति श्रीहरि को प्रिय है ऐसे व्यक्ति की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है और उसकी अकाल मृत्यु कल जाती है



मृत्यु और अकाल मृत्यु में क्या अंतर है


मृत्यु को सामान मृत्यु कहा जाता है जब भी कोई व्यक्ति अपना पूरा उम्र जीने के बाद वृद्ध अवस्था में मृत्यु को प्राप्त होता है वह सामान मृत्यु कहलाता है जैसे कोई व्यक्ति तीनों अवस्थाओं को पार कर बाल्य अवस्था किशोर अवस्था युवा अवस्था तीनों को पार कर वृद्धावस्था में मृत्यु को प्राप्त होता है उसे सामान मृत्यु का दर्जा दिया जाता है


लेकिन यदि किसी व्यक्ति की आकस्मिक मौत हो जाता है और वह मनुष्य बाल अवस्था किशोर अवस्था या युवा अवस्था में मृत्यु को प्राप्त होता है तो वह अकाल मृत्यु की श्रेणी में गिना जाता है यानी भी किसी मनुष्य की मृत्यु का किसी दुर्घटना या किसी रोग के कारण कम उम्र में हो जाती है तो उसे अकाल मृत्यु कहते हैं



अकाल मृत्यु हो जाए तो क्या करना चाहिए



अगर आपके कुंडली में अकाल मृत्यु का योग है तो आपको भगवान शिव शंकर की पूजा करना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव शंकर महाकाल का स्वरूप है और जो महाकाल के भक्त होते हैं उसे मृत्यु कभी छू भी नहीं सकती है अगर आपकी कुंडली में अकाल मृत्यु का योग बन रहा है तो आप भगवान शिव शंकर की पूजा आराधना करें और शनिवार के दिन तिल गुड़ और शहद से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करें और पूरी श्रद्धा के साथ भगवान भोलेनाथ का भक्ति करें क्योंकि जिस पर भगवान शिव शंकर की कृपा होती है उसके ऊपर से अकाल मृत्यु टल जाता है



इसके साथ ही आप महामृत्युंजय का जाप करवाएं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि महामृत्युंजय का जाप करने से सारे बुरे संकट दूर हो जाते हैं और यदि किसी का कुंडली में अकाल मृत्यु का योग है तो वह भी समाप्त हो जाती है



सावन के समय महामृत्युन का निरंतर जाप करने से उसके परिवार पर कभी भी अकाल मृत्यु का संकट नहीं आता है और उसके परिवार पर आए हुए अकाल मृत्यु टल जाती है



Conclusion  अकाल मृत्यु क्यों होती है


आज हमने आपको बताया कि अकाल मृत्यु क्यों होती है अकाल मृत्यु कैसे होती है दोस्तों हमने आपको अकाल मृत्यु से जुड़ी हर जानकारी बताएं हैं जिससे आप समझ गए होंगे कि अकाल मृत्यु क्यों होती है अकाल मृत्यु होने कारण होता है दोस्तों इस जीवन का कोई भरोसा नहीं है और आज के समय में कब किसकी मौत हो जाए पता ही नहीं चलता और मृत्यु को कोई टाल नहीं सकता लेकिन फिर भी यह जीवन बड़ा अनमोल है बड़े कष्ट से हमें मानव योनि में जन्म लेने का सौभाग्य मिलता है और इसे व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए समय-समय पर दान पुण्य का कार्य करना चाहिए और जिस ईश्वर ने हमें मानव जीवन प्रदान किया है उसकी पूजा आराधना करना चाहिए और सदैव ईश्वर की भक्ति करना चाहिए गरीब और असहाय का सहयोग करना चाहिए उसकी सहायता करना चाहिए और सदैव अच्छे कार्य करना चाहिए अगर आप ऐसा कार्य करेंगे तो आप और आपके पूरे परिवार सुखी रहेंगे और कभी भी आपके और आपके पूरे परिवार पर अकाल मृत्यु का प्रकोप नहीं आएगा


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