गुरुवार, 30 जनवरी 2025

मृत्यु के बाद् और जान्म् लेने से पहले आत्मा कँहा रहती है ? रहस्य | aatma kanha rahti hai


नमस्कार दोस्तों आज हम जानेगे कि mrityu baad aur janm lene se pahle aatma kanha rahti hai 

 मृत्यु क्यों होती है आप सभी जानते हैं कि हमारा शरीर नश्वर है और हमारे शरीर में आत्मा का वास कुछ समय के लिए ही होता है जो जीवन चक्र के चलते एक शरीर से दूसरे शरीर में स्थानांतरित होती रहती है लेकिन यहां प्रश्न उठता है कि मृत्यु के बाद और जन्म लेने से पहले आत्मा कहां रहती है


हमारे मन में अक्सर यह सवाल उत्पन्न होता है हम बार-बार सोचते हैं कि आखिर एक शरीर को त्यागने और नया शरीर धारण करने के बीच वह आत्मा कहां रहती है


जो कि एक रहस्य बना हुआ है जिसका जवाब  लगभग किसी के पास नहीं है लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि मृत्यु के बाद और जन्म लेने से पहले आत्मा कहां रहती है और उनके साथ क्या-क्या घटनाएं घटती है यदि आप भी जाना चाहते हैं


कि मृत्यु के बाद और नया शरीर धारण करने से पहले आत्मा कहां रहती है तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ें इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि मृत्यु के बाद और नया शरीर धारण करने से पहले आत्मा कहां रहती है


मृत्यु के बाद और जन्म लेना से पहले आत्मा कहां रहती हैं (Aatma kanha rahti hai )


हमारी सनातन धर्म से जुड़ी गरुड़ पुराण में मनुष्य के जीवन मरण से जुड़ी सभी रहस्यों को उजागर किया गया है जिसमें बताया गया है कि janm lene se pahle aur mrityu ke baad aatma kanha rahti hai और इन्हीं में से एक आत्मा की शरीर त्यागने के बाद की यात्रा का वर्णन भी मिलता है जिसमें हमारे प्रश्न का उत्तर भी मिलता है

 की मृत्यु के बाद आत्मा कहां रहती है जैसे एक आत्मा अपना शरीर त्यागति है उसे ले जाने के लिए यमलोक से यमराज के यमदूत आ जाते  हैं जिनमें  अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति की आत्मा को बड़ी आसानी से यमलोक  चले जाते हैं लेकिन बुरे कर्म करने वाली  आत्मा को जबरदस्ती खींच कर अपने साथ ले जाया जाता है इसके बाद उस आत्मा के साथ हुए यमराज के सामने हाजिर होते हैं

जहां उसे अपने जीवन काल में कि सभी अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब देना पड़ता है और 24 घंटे तक यह आत्मा वही यमलोक में रहती है और इसके बाद एवं यमराज के दूत उस आत्मा को फिर से उस स्थान पर लाकर छोड़ देते हैं


जहां उसने शरीर को त्यागा था जिसके बाद यहां वह आत्मा  तक रहती है और 13 दिनों के पश्चात अंतिम संस्कार से जुड़ी सभी विधियां समाप्त होने पर यमदूत उसे पुणे लेने आते हैं और उसे अपने साथ यमलोक की यात्रा के लिए ले जाते हैं


मृत्यु के बाद  आत्मा के साथ क्या क्या होता है 


मृत्यु के बाद बुरी आत्मा को यमलोक भयानक नगरी यमलोक की आत्माओं के दर्शन कराए जाते हैं और इस मार्ग में आत्मा को कई प्रकार की भयानक यातनाएं सहनी पड़ती है 


धर्मपाल ने यमपुरी के इस रास्ते में बेतरीन नदी का भी उल्लेख मिलता है जो की विष्ठा और रक्त से भरी हुई है और मित्रों जिसने गाय का दान किया होता है जो अपने जीवन में पुण्य का काम करते हैं

वह आसानी से वैतरणी नदी पार कर यमलोक पहुंच जाता है लेकिन जो व्यक्ति अपने जीवन में पुण्य कार्य से वंचित रह जाता है वह इस नदी में डूबता रहता है और यमदूत उसे बार-बार निकाल कर उसे उसमें धक्का देती देती है


17 दिनों की अपनी यात्रा के बाद आत्मा अपने यमपुरी पहुंचते हैं यमपुरी पहुंचने के बाद आत्मा पुष्पौ दान नाम की एक नदी के पास पहुंच जाती है और जिसका जल स्वच्छ  होता है और जिसमें अनेक तरह के पुष्प और कमल के फूल खिले होते हैं इस नदी के किनारे छायादार वृक्ष होता है आत्मा थोड़ी देर विश्राम करती है यही इस पेड़ के नीचे उसके परिजनों और पुत्रों के द्वारा किए गए पिंडदान से भोजन प्राप्त होता है जिससे उसमें शक्ति का संचार होता है

यमलोक में आत्मा के साथ क्या-क्या होता है ( yamlok me aatma ke sath kya kya hota hai )


नदी पार करने के बाद दक्षिण द्वार से भीतर आने के बाद अत्यंत भयंकर यमराज के दर्शन होते हैं जिन के चारों ओर यमराज के भयानक दूत उपस्थित रहते हैं गरुड़ पुराण के अनुसार यमराज मनुष्य सदा शुभ कार्य करने की आशा करते हैं


लेकिन जो मनुष्य अपने जीवन काल में पुण्य का काम नहीं कर पाता है और जब यमराज उस आत्मा का पुण्य और पाप का हिसाब किताब करते हैं

मृत्यु के बाद पाप कार्य करने वाली आत्मा के साथ यमराज क्या करता है 



यदि यमराज की लेखा जोखा में उस आत्मा का पाप का कार्य कब पलड़ा अधिक हुआ जो आत्मा का जीवन काल में पाप का कार्य अधिक होता है तो यमराज उस आत्मा को शुद्ध करने के लिए और उसे उस पाप का दंड देने के लिए यमराज उस आत्मा को नर्क में भेज देता है जहां उसे जलती तेल में डाल दिया जाता है


उस आत्मा को सांप और बिच्छू के हवाले कर दिया जाता है पापी आत्मा को नर्क में आने को यातनाएं दी जाती है और बार-बार उस आत्मा को अपनी बुरी कर्म को याद दिला कर उसके शरीर में पीड़ा पहुंचाते हैं जिससे बुरी आत्मा दर्द से तड़पते रहता है


जो मानव अपने जीवन काल में कभी किसी को दान नहीं दिया है किसी भूखे को भोजन नहीं खिलाया है उस आत्मा को नर्क में भूखा रखा जाता है वह दाने दाने के लिए तरसते हैं लेकिन उसे खाने के लिए कुछ भी नहीं दिया जाता है राक्षसी कार्य करने वाली आत्मा प्रेत योनि में अनंत काल तक भटकते रहते हैं

और सुना इस धरती पर जन्म लेते हैं और ऐसा नहीं कि वह हर वर्ग मानव का जन्म मिलता है उसे 8400000 योनि में भटकना पड़ता है उसे


मृत्यु के बाद अच्छे कर्म करने वाले आत्मा के साथ क्या होता है


जो भी मानव अपने जीवन में अच्छे कर्म करते हैं उसकी मृत्यु के पश्चात उस आत्मा को यमलोक की यात्रा नहीं करनी पड़ती है यमलोक जाकर उसे ना वैतरणी नदी पार करनी पड़ती है नहीं उसे यमलोक में जाकर यमराज द्वारा दिया गया दंड में नरक लोक की यातनाएं सहनी पड़ती है

अच्छे कर्म करने वाले मनुष्य की जब मृत्यु होती है तो उस आत्मा के मृत्यु के बाद उसे लेने के लिए आकाश मार्ग से विमान आता है जिसमें बैठकर अच्छे कर्म करने वाले आत्मा स्वर्ग लोक या बैकुंठ धाम चले जाते हैं

ऐसा माना जाता है कि जिन्हें विष्णु लोक मैं रहने की अनुमति मिल जाती है वह आत्मा जन्म जन्मांतर से मुक्त हो जाता है उसे पृथ्वी पर बार-बार जन्म लेना नहीं पड़ता है उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है और गरुड़ पुराण में भी बताया गया है कि अपने जीवन में  और ध्यान करने वाले लोग जो अपने जीवन में ईश्वर की भक्ति करता है निस्वार्थ होकर भगवान श्री हरि की आराधना करता है ऐसी आत्मा ब्रह्मलीन हो जाते हैं यानी उसे दोबारा धरती लोक पर जन्म नहीं लेना पड़ता है वह वैकुंठ लोक जाकर भगवान विष्णु के शरण में चले जाते हैं

जन्म लेने से पहले आत्मा कहां रहती है ( janm lene se pahle aatma kanha rahti hai )




जन्म लेने से पहले आत्मा पित्रलोक में रहते हैं जहां उनका न्याया होता है और उसके कर्मों के आधार पर ही नरक स्वर्ग या दूसरी योनि में भेजा जाता है यह वही स्थान है जहां उस आत्मा को दूसरे शरीर धारण करने का समय निर्धारित किया जाता है प्रकृति उन्हें अपने भाव विचार और जागरण की अवस्था के आधार पर ही दूसरा गर्भधारण करवाती है प्रकृति के नियम अनुसार आपका दूसरा जन्म तब तक नहीं होता है जब तक आप जब तक आप पूरी तरह से समृति हिन ना हो जाओ

मृत्यु के बाद 84 लाख योनि में क्यों जन्म लेना पड़ता है


मनुष्य के कर्मों के आधार पर ही उसका दूसरा जन्म होता है अगर कोई मनुष्य अपने जीवन काल में पुण्य का काम करता है ईश्वर की भक्ति करता है तो उसे जल्दी ही मानव का जन्म मिल जाता है लेकिन ऐसा भी माना जाता है कि मानव को मृत्यु के बाद तब तक 8400000 योनि में जन्म लेना पड़ता है जब तक वह अपने पिछले जन्म की बातों को पूरी तरह से ना भूल जाए और जब मनुष्य अपने पिछले जन्म की सारी बातें भूल जाती है तब उसे फिर से मानव का जन्म नहीं होत है और बार-बार उसे जानवर पक्षी कीट पतंग के रूप में पृथ्वी लोक पर जन्म लेना पड़ता है

मृत्यु के बाद भूत प्रेत क्यों बनता है (mrityu ke baad bhut pret kyo banta hai )



ऐसी आत्मा जिसकी अकाल मृत्यु हो जाती है जिसका मरने के समय पूरा नहीं होता है और वह अपने मृत्यु के निर्धारित समय से पहले किसी कारणवश उनकी अकाल मृत्यु हो जाती है तो वही आत्मा भूत प्रेत बनकर भटकती रहती है

 उसका समय पूरा हो जाता है तब उस आत्मा को यमलोक मैं प्रवेश करने की अनुमति मिलती है जिसके बाद फिर से उस आत्मा का दोबारा जन्म होता है

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


मृत्यु क्यों होती है (mrityu kyo hoti hai )


यह एक अटल सत्य है इस पृथ्वी पर जिसका भी जन्म हुआ है उसका मृत्यु निश्चित है यह शरीर नश्वर है आत्मा बस शरीर को धारण करती है लेकिन जब उसका समय पूरा हो जाता है तब वह उस शरीर को त्याग देती है जैसे हम नए कपड़े पहनते हैं लेकिन जब हुआ पुराना हो जाता है तो हम उसका त्याग कर देते हैं उसी तरह आत्मा भी होती है वह एक नया शरीर धारण करता हैजिसका समय निर्धारित होता है और समय आने पर उस पुराने शरीर कोत्याग देती है यही सवाल एक बार ऋषि नारद मुनि ने अपने पिता ब्रह्मदेव से पूछा हे पिता श्री जब आप मनुष्य को जन्म देते हैं तो फिर उसकी मृत्यु क्यों होती है

ऐसा नहीं हो सकता है कि उसकी मृत्यु ना हो उसे आप जन्म तो दे देते हैं लेकिन उसके मन में एक भय हमेशा सताता है कि उसे एक दिन मरना है आप ऐसा क्यों करते हैं तब ब्रह्माजी मन ही मन मुस्काए और फिर नारद मुनि से कहा यह बात तुम भी जानते हो जिसका जन्म हुआ है उसका मृत्यु निश्चित है जब हमने सृष्टि की रचना की और जब हमने मानव का सृजन किया उसी समय जन्म और मृत्यु का विधान भी बनाया गया जो की विधि का विधान है

जिसे कोई नहीं बदल सकता अगर मानव को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त कर दिया जाए तो सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा क्योंकि जब तक पेड़ से पुराने पत्ते नहीं झड़ेगे तो फिर नया पत्ता कैसे आएगा जब दिन बनाया गया था तब रात भी बनाई गई प्रकाश के साथ अंधेरा भी बनाया गया सुख के साथ दुख भी बनाया गया

उसी तरह जन्म के साथ मृत्यु भी बनाया गया अगर उजाला के साथ अंधेरा नहीं बनाया जाता तो उस उजाला की कोई कदर नहीं होता अगर सुख के साथ दुख नहीं बनाया जाता तो कोई भी सुख का आनंद नहीं ले

पाता उसी तरह अगर जन्म के बाद मृत्यु नहीं होगी तो सृष्टि में जीवो की संख्या अत्यधिक हो जाएगी जिससे सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा और फिर नए जीवो का सृजन नहीं हो पाएगा इसलिए जन्म के बाद मृत्यु होती है


मृत्यु के बाद आत्मा दूसरा शरीर कब धारण करती है 




पित्रलोक में पहुंचने के बाद आत्मा को दूसरा शरीर धारण करने का समय निर्धारित किया जाता है उसके साथ ही उसे यह भी बताया जाता है कि इस बार उसी  किस योनि में जन्म लेना है समय निर्धारित होने के बाद उस  आत्मा का दोबारा जन्म होता है तो वह आत्मा निर्धारित समय में दूसरा शरीर धारण करती है

अंतिम शब्द

आज हमने आपको बताया कि मृत्यु के बाद और जन्म लेने से पहले आत्मा कहां रहती है एक ऐसा रहस्य के बारे में बताया है जिसका जब हम लगभग किसी के पास नहीं है जिसमें हमने आपको आत्मा से जुड़ी हर जानकारी दी है

Mrityu ke baad aur janm lene se pahle aatma kanha rahti hai

Yamlok me aatma ke sath kya kya hota hai

Yamalok me aatma ke saath kya kya hota hai

Yamalok me yamraj aatma ke saath kya karta hai


Mrityu ke baad paap karm karne wali aatma ke saath kya hota hai


Mrityu ke baad achhi karm karne wali aatma ke saath kya hota hai )

janm lene se pahle aatma kanha rahti hai


mrityu ke baad aatma ko 84 lakh yoniyon me kyo janm lena padta hai


mrityu ke baad bhut pret kyo banta hai


mrityu ke baad aatma dusra sarir kab dharan karta hai

मुझे आशा है कि आपको यह पोस्ट पसंद  आया होगा आप जान गए होंगे कि मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है अगर इससे जुड़ी कोई सवाल आपके मन में हो तो कमेंट में हमें जरूर होता है और सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को शेयर करके और अधिक लोगों के मन में उठ रहे हैं सवाल जन्म लेने से पहले और मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है इस सवाल का निवारण करें

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