मंगलवार, 6 सितंबर 2022

2022 मैं दुर्गापूजा कब है दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है durgapuja date & time 2022

 2022 मैं दुर्गापूजा कब है  durgapuja date & time 2022

 आज हम बताने जा रहे हैं की 2022 में दुर्गा पूजा कब है दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है 


2022 में दुर्गा पूजा की तिथि और मुहूर्त की सारी जानकारी हम आपको बताएंगे



   1 दुर्गा पूजा निबंध 


दुर्गा पूजा हिंदू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है दुर्गा पूजा हिंदू धर्म के लोगों का एक पवित्र त्यौहार है दुर्गा पूजा पूरे भारत में बहुत उत्साह और विश्वास के साथ मनाया जाता है यह 10 दिनों तक चलने वाला त्योहार है यह त्यौहार दुर्गा माता के पूजा अर्चना के साथ मनाया जाता है त्योहार मां दुर्गा द्वारा महिषासुर के अंत की खुशी में मनाया जाता है इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है यह त्यौहार प्रतिवर्ष अश्विन महीने के पहले दिन  से दसवें दिन तक मनाया जाता है 


दुर्गा पूजा के लिए लोग एक दो महीने पहले से ही  तैयारियां शुरू कर देते हैं यह त्यौहार पूरे भारत में बड़े   ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है दुर्गा पूजा का पर्व भारत के अलावा नेपाल और बांग्लादेश मैं भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है दुर्गा पूजा का उत्सव 10 दिनों तक चलता है दुर्गा पूजा के लिए स्कूलों कॉलेजों और सरकारी दफ्तरों में 10 दिनों का अवकाश भी होता है 


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मां दुर्गा को शक्ति का देवी कहा जाता है हिंदू धर्म के हर त्योहार के पीछे सामाजिक कारण होता है दुर्गा पूजा भी मनाने के पीछे भी सामाजिक कारण है दुर्गा पूजा अन्याय अत्याचार तथा बुरी शक्तियों के नास के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है दुर्गा पूजा के अंतिम दिन मूर्तियों का विसर्जन बड़े ही  हर्ष उल्लास और धूमधाम से जुलूस निकालकर किया जाता है गांव तथा शहरों के विभिन्न स्थानों से प्रतिमा विसर्जन के जुलूस निकाला जाता है फिर सब लोग नदी के

  2022 में दुर्गा पूजा कब है




 durgapuja date and time 2022
दुर्गा पूजा 5 अक्टूबर 2022  बुधवार को विजयदशमी है

दुर्गापूजा विजय दशमी  मुहूर्त

 विजय मुहूर्त प्रारंभ  5 अक्टूबर दिन बुधवार  दोपहर  2:07 से लेकर दोपहर 2:54 तक

कुल अवधि 54 मिनट

      कैलेंडर 2022 

महा पंचमी   30 अक्टूबर 2022 शुक्रवार

महा षष्ठी     01 अक्टूबर 2022 शनिवार

महा सप्तमी  02 अक्टूबर 2022 रविवार

महा अष्टमी   03 अक्टूबर 2022 सोमवार

महानवमी   04 अक्टूबर 2022 मंगलवार

विजयदशमी 05 अक्टूबर 2022 बुधवार

 दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है

दुर्गा पूजा से जुड़ी कई कथाएं हैं जिसमें एक कथा यह भी है कि इस दिन माँ दुर्गा ने महिशासुर नमक असुर का बध किया था महिषासुर ब्रह्म जी का घोर तप कर 
वरदान प्राप्त कर लिया ब्रह्मा जी से उसने यह वरदान मांगा कि कोई भी मनुष्य देवता हमें मार ना पाए जिससे वह बहुत शक्तिशाली हो गया

 और धरती पर अत्याचार करने लगे वह अपने आप को अमर समझने लगे उन्होंने स्वर्ग पर आक्रमण कर देवताओं को परास्त कर दिया और देवराज इंद्र का सिंहासन छीन लिया 

और स्वर्ग पर अपना अधिकार कर लिया तब सहायता के लिए त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु शंकर जी के पास गया सब ने मिलकर महिषासुर से युद्ध किया ब्रह्मा जी से मिले वरदान के कारण किसी ने उसे हरा नहीं कर पाया तब सभी देवताओं ने मिलकर महिषासुर का अंत करने का उपाय खोजने लगा तब उसे एक उपाय मिला कि उसे एक स्त्री ही  महिषासुर का वध कर पाएगा सभी देवता कि शक्तियों को मिलाकर देवी दुर्गा का सर्जन किया

 सिंह पर सवार होकर देवी दुर्गा प्रकट हुए और सभी देवताओं ने अपने-अपने शक्ति और अपने अस्त्र-शस्त्र देवी दुर्गा को दिए

 तब देवी दुर्गा ने महिषासुर से युद्ध करने लगे यह युद्ध 9 दिनों तक चला और दसवें दिन उसका वध कर दिया तभी से दुर्गा पूजा त्यौहार मनाने लगा दसवें दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था



 इसलिए इसे विजय दशमी भी कहा जाता है दुर्गा पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी में मनाया जाता है और एक कथा यह भी है कि इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था जिस के उपलक्ष में दुर्गा पूजा और दशहरा मनाया जाता है दुर्गा पूजा के दिन रावण का पुतला बनाया जाता है और दुर्गा पूजा के दसवें दिन उसमें आग लगाया जाता है


 4 मां दुर्गा व्रत कथा

मां दुर्गा व्रत कथा इस प्रकार हैं एक भी बृहस्पति जी ने ब्रह्मा जी से पूछा हे देव श्रेष्ठ मैं यह जानना चाहता हूं कि आदि शक्ति जगदंबा के नवरात्रि व्रत क्यों किया जाता इसे करने से किन फलों की प्राप्ति होती है इसे किस तरह करना चाहिए और इस व्रत को पहले किसने किया था

 कृपा कर विस्तारपूर्वक बताइए ब्रह्मा जी बोली है बृहस्पति तुमने प्राणियों के हित के लिए यह बहुत अच्छा प्रश्न किया है जो मनुष्य श्रद्धा युक्त भाग से भगवती जगदंबा का ध्यान कर व्रत व पूजन करते हैं 

वे धन्य है यह नवरात्रि व्रत सब कामनाओं को पूर्ण करने वाला इसे करने से पुत्र कुपुत्र निर्धन को धन कोड़ी को काया विद्या की चाह रखने वाले को विद्या तथा अन्य सुखों की इच्छा रखने वाले को सभी सुख प्राप्त होते हैं

 मां भगवती की कृपा से सभी विपत्तियों का नाश होता है तथा घर की सुख समद्धि में वृद्धि होती है वैसे तो नवरात्र व्रत यथाशक्ति सबको करनी चाहिए परंतु फिर भी कोई मनुष्य इस व्रत को पूर्ण रूप से न कर सके तो उसे एक समय भोजन कर पूरे नवरात्रि माता की व्रत की कथा का श्रवण करना चाहिए 

आज मैं तुम्हें एक ऐसी कथा सुनाने जा रहा हूं  जिसन पहले इस महाव्रत को किया है यह कथा में तू ही सुनाता हूं श्रद्धा पूर्वक सुनो ब्रह्माजी बोले

दुर्गा पूजा व्रत सबसे पहले किसने किया था


 प्राचीन काल में मनोहर नगर में पीठक नाम का एक ब्राह्मण रहता था वह था
वह ब्राह्मण भगवती जगदंबा का भक्त था वह ब्राह्मण नित्य प्रति मां की पूजा किया करता था उस ब्राह्मण के सुमति नाम की अति संस्कारवान तथा सुंदर कन्या थी वह कन्या अपने पिता के घर बालय काल में अपनी सहेलियों के साथ क्रीडा करती हुई इस प्रकार बढ़ने लगी जैसे शुक्ल पक्ष का चंद्रमा बढ़ता है वह ब्राह्मण जब प्रतिदिन दुर्गा मां की पूजा करो हम किया करता था तब वह कन्या वहां उपस्थित रहते थी एक दिन वह कन्या अपनी सखियों के साथ खेल में इतना व्यस्त हो गई कि वह पूजा में उपस्थित न हो सके अपनी कन्या द्वारा की गई ऐसी गलती को देख ब्राह्मण को उस पर क्रोध आ गया और क्रोधित हो उसने अपनी कन्या से कहा हे दुरमति बुद्धि बाली तूने आज भगवती का पूजा नहीं किया मैं तुझ पर रुष्ट हूं

 अब मैं तेरा विवाह किसी कुष्ठ रोगी या दरिद्र व्यक्ति से करूंगा
पिता द्वारा कई इन शब्दों से सुमति आहत हुई और अपने पिता से बोली मैं आपकी कन्या हर तरह से आपके अधीन हूं जिससे आपकी इच्छा हो मेरा विवाह कर देना पर मुझे वही मिलेगा जो मेरे भाग्य में लिखा होगा मुझे यह पूर्णतया विश्वास है जैसे अग्नि में घी डालने से अग्नि और अत्यधिक प्रज्वलित हो जाती है

 उसी तरह बेटी द्वारा कहे इन वचनों से वह ब्राह्मण और अधिक क्रोधित हो उठा और क्रोध की अग्नि में जलते हुए उसने शीघ्र ही अपनी कन्या का विवाह एक कुष्ठ रोगी से कर दिया और कन्या को विदा करते हुए बोला है पुत्री अब तुम अपना कर्म फल भोगो देखे भाग्य के भरोसे रहकर तुम क्या करती हो वह कन्या ऐसा पति पाकर दुखी  थी पर यह सोच भाग्य के लिखे को कोई नहीं मिटा सकता इस तरह अपने दुख का विचार करते हुए वह अपने पति के साथ वन में चली गई और वह रात्रि उन्होंने बड़े कष्ट से व्यतीत कि उस गरीब ब्राह्मण बालिका की ऐसी दशा देखकर देवी भगवती उसके पूर्व पुण्य के प्रभाव से वहां प्रकट हुई और कहां पुत्री मैं तुम पर प्रसन्न हूं तुम जो चाहो मुझसे मांग सकती हो एकाएक अपने सामने दिव्य प्रकाश रूपी शक्ति को देख वह हाथ जोड़ खड़ी हो गई और बोली आप कौन हो और मैंने ऐसा कौन सा पुण्य कार्य किया है जिसके वशीभूत आपकी कृपा मुझे प्राप्त हो रही है कन्या का ऐसा वचन सुन मां ने उसे दर्शन देते हुए कहा मैं आदिशक्ति भगवती जगदंबा मैं तुझ पर तेरे पूर्व जन्म के पुण्य के प्रभाव से प्रसन्न हूं

 तुम जो चाहो मुझसे मांग सकती हूं कन्या ने हाथ जोड़ मां से पूछा मां ने पूर्व जन्म में कौन थी और मैंने ऐसा क्या किया था जो आपकी कृपा मुझे प्राप्त हुई मां ने कहा सुनो पूर्व जन्म में तो एक निषाद की पत्नी थी तुम अति पतिवर्ता और मुझमें आस्था रखने वाली थी 1 दिन परिस्थितियों के वशीभूत होकर तुम्हारे पति निषाद ने चोरी की चोरी करने के कारण राजा के सैनिक उसके साथ-साथ तुझे भी ली गई

 और ले जाकर कारागृह में डाल दिया वहां पर तुम दोनों 9 दिन तक रहे वहां ना तुम्हें भोजन दिया गया ना जल्दी आ गया वह समय मेरे नवरात्रों का था और कुछ न खाने पीने के कारण तुम्हारे द्वारा मेरे व्रत हो गए हे पुत्री उस समय तुमसे जो व्रत हुए उसके प्रभाव से प्रसन्न होकर मैं तुझे मनोवांछित वर देती हूं 

तुम्हारी जो इच्छा हो वह मांगो वह कन्या बोली मां आप मुझ पर प्रसन्न हो तो मेरे पति को कोढ मुक्त करो इतना सुनते ही मां ने कहा तथा अस्तु तब उसके पति का शरीर भगवती की कृपा से कुष्ठ रोग से मुक्त हो गया और अति कांति मान हो गया अपने पति की मनोहर देह को देखकर वह भगवती की स्तुति करने लगे

 हे मां आपने मेरा उद्धार किया है आपको मेरा बारंबार प्रणाम है मां मेरी रक्षा करो रक्षा करो ब्रह्माजी बोले है बृहस्पति कन्या द्वारा की गई स्तुति से प्रसन्न होकर मां ने उसे आशीर्वाद दिया

 और कहा कि पुत्री मेरी कृपा से तू सब सुखों से संपन्न हो शीघ्र ही उद्दालक नामक अति बुद्धिमान धनवान कीर्तिमान तथा जिन केंद्रीय पुत्र की माता होगी ऐसा आशीर्वाद देकर मां अंतर्ध्यान हो गई ब्रह्माजी बोले है बृहस्पति इस प्रकार इस दुर्लभ व्रत क महत्व मैंने तुम्हें बताया है जो भी मनुष्य इस व्रत को भक्ति पूर्वक करता है वह इस लोक में सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है 

5 दुर्गापूजा का महत्व


तथा प्राचीन हिंदू शास्त्रों के अनुसार देवी दुर्गा के नौ रूप हैं उन सब रूपों की अवतार कथाएं इस प्रकार है
 महाकाली - एक बार जब प्रलय काल में सारा संसार जलमय में था अर्थात चारों ओर पानी ही पानी ही पानी दिखाई देता था

 उस समय भगवान विष्णु के नाभि से एक कमल उत्पन्न हुआ उस कमल से ब्रह्मा जी निकले उसी समय भगवान नारायण के कान में से जो मेल निकला उससे मधु और कैटब  नाम के दो दैत्य उत्पन्न हुए जब उन्होंने चारों ओर देखा

 तो उन्हें ब्रह्मा जी के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दिया वे दोनों कमल पर बैठे ब्रह्माजी पर टूट पड़े तभी तो ब्रह्मा जी ने विष्णु की स्तुति की विष्णु जी की आंखों में उस समय महामाया योग निद्रा के रूप में निवास कर रही थी ब्रह्मा जी की अस्तुति से लोप गई और विष्णु भगवान नींद से जाग उठे भगवान नींद से जाग उठे उनके जाते ही वित्तीय भगवान विष्णु से लड़ने लगे

 और उनमें 5000 वर्ष तक युद्ध चलता रहा अंत में भगवान विष्णु की रक्षा के लिए महामाया ने असुरों की बुद्धि पलट दी तब भी असुर प्रसन्न हो विष्णु जी से कहने लगे हम आपके हित कौशल से प्रसन्न है जो चाहो सो वर मांग लो तो विष्णु बोले यदि हमें देना है 

तो यह वरदान दो की असुरों  का नाश हो जाए तथास्तु ऐसा कहते हि महाबली असुरों का विष्णु जी के हाथों नाश हो गया असुरों की बुद्धि को बदला वह देवी थी महाकाली जिससे दुर्गा पूजा के अष्टमी को महाकाली की पूजा की जाती है

अंतिम शब्द

आज हमने आपको बताया कि
दुर्गा पूजा निबंध

2022 में दुर्गा पूजा कब है
दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है
दुर्गा पूजा व्रत कथा

दुर्गा स्वरूप महाकाली ने कैसे की ब्रह्मा जी की सहायता मुझे आशा है कि आप लोग जान गए होंगे कि 2022 में दुर्गा पूजा कब है दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है अगर मेरी यह पोस्ट पसंद आया हो तो इसे शेयर करते हैं




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