मंगलवार, 6 मई 2025

मरते समय कितना दर्द होता है? ( गरुड़ पुराण ) Marte samay kitna dard /pida hota hai

 दोस्तों आज हम आपको बताने जा रहे हैं की मरते समय कितना दर्द होता है mrityu ke samay kitna dard hota hai जब किसी इंसान की मृत्यु होती है उसे समय आत्मा को शरीर से बाहर निकलने में कितना कष्ट होता है 


Marte-sa-samay-kitna dard hota jai


मृत्यु एक ऐसा विषय इसके बारे में जानने की जिज्ञासा हर एक व्यक्ति को जीवन में एक न एक बार होती ही है और मन में यह भी सवाल आता है की मृत्यु के क्षण में व्यक्ति को कैसा लगता होगा मृत्यु का अनुभव किस प्रकार का होता होगा मृत्यु के समय समय जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो मरने वाले को कितना दर्द होता होगा यानी मृत्यु के समय कितना दर्द होता है



मरते समय कितना दर्द होता है? Mrityu ke samay kitna dard hota hai



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 देखिए इस बात को साइंस के हिसाब से नहीं बताया जा सकता इसका कोई पैरामीटर नहीं है क्योंकि जब व्यक्ति मरने वाला होता है तब वह इस अनुभव को बता नहीं पता लेकिन प्रकृति के कुछ लो है कुछ ऐसे नियम जिनके आधार पर बताया जा सकता है की मरते के समय कितना दर्द होता है या इसके बारे में गरुड़ पुराण में भी लिखा है की जन्म मरण का चक्कर किस प्रकार से काम करता है


 यह सिस्टम क्या है देखिए जब व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसे कई पड़ाव से गुजरना पड़ता है कुछ लोगों को मृत्यु के समय अत्यधिक पीड़ा होती है तो कुछ लोग सहजिए अपना शरीर छोड़ देते हैं तो सबसे पहले जान लेते वह व्यक्ति जिनका मृत्यु के समय बहुत पीड़ा होती है वह किस कैटेगरी के होते हैं


बुरे व्यक्ति को मरते के समय कितना दर्द होता है


 जो व्यक्ति जीवन से पूरी तरह से चिपके हुए हैं यह कह बुरी प्रवृत्ति के है ऐसे व्यक्तियों को मृत्यु के समय अधिक पीड़ा होती है क्योंकि प्रकृति कहती है कि अब मृत्यु का समय आ गया है शरीर छोड़ना पड़ेगा परंतु मरने वाले व्यक्ति ने समाज में रहकर जो मेमोरी इकट्ठी की है उसने जो भी कुछ जोड़ा है वह उसे छोड़ना नहीं चाहता 


वह धन दौलत रिश्ते नाते समाज से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है अब जो चीज मजबूती से जुड़ी हुई है वह इतनी आसानी से नहीं छूटेगा उसे छुटाने के लिए अधिक फोर्स लगाना होगा तो कहते हैं कि मरते समय जब जीव को यमदूत लेने आते हैं तब वह उसे उसे शरीर से बाहर निकलने का प्रयास करते हैं


 परंतु वह तो शरीर छोड़ने ही नहीं चाहता उसके मुताबिक भोगने के लिए बहुत कुछ बाकी रह गया है जो शरीर में रहकर ही भोग जा सकता है तब वह शरीर को जोर से पकड़ लेता है और दूसरी तरफ से फोर्स लगता है जीव को शरीर से बाहर निकलने का और उसे फोर्स की वजह से व्यक्ति को मरते समय अधिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है और उसके कर्मों के अनुसार यानी उसने जो संस्कार जमा किए हैं उसके मुताबिक उसको मृत्युलोक में ले जाया जाता है थोड़ा समय वहां बिताने के बाद उसे वापस पृथ्वी लोक पर लाया जाता है।



जहां पर फिर से अपने संस्कारों को पूरा करने के लिए शरीर को धारण कर लेता है इसको आप ऐसे भी समझ सकते हैं जितने ज्यादा अधर्मी लोग आप अपने आसपास देखते हैं।


जिन्हें आप बुरे लोग भी कह सकते हैं वे सभी इस फिजिकल वर्ड से पूरी तरह से कनेक्ट है वे वासनाओ को छोड़ नहीं पाते एक वासना भोगते हैं दूसरी उठ खड़ी होती है इसी प्रकार से उनकी ईक्षयए कभी एक जन्म में पूरी नहीं हो पाती और उन्हें बार-बार आना पड़ता है

और बार-बार मृत्यु की पीड़ा उठानी पड़ती है 


अच्छे लोगों को मरते के समय कितना दर्द होता है


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जब अच्छे लोग यानी सन्यासी ,आत्मज्ञानी अपना शरीर त्यागता है तब उसे इतना ज्ञान मिल जाता है कि उसे यह सब कुछ समझ में आ जाता है संसार व्यर्थ है संसार दुखों का कारण है वह जान लेता है की न जाने वह कितनी बार इस पृथ्वी पर आ चुका है


 इस पृथ्वी पर जो भी कमाया जाता है सब यहीं छूट जाता है उसे संसार का मोह नहीं रहता धन दौलत का मोह नहीं रहता उसे संसार का व्यर्थता का पता लग जाता है सगे संबंधी रिश्ते नाते उसे नाटक का खेल समझ में आता है।


मृत्यु के क्षण में विरोध नहीं करता मृत्यु के दूत जब उसके पास आते हैं उसकी आत्मा को लेने हैं स्वीकार भाव से शरीर से निकालकर उनके साथ चलने के लिए तैयार हो जाता है ऐसे अच्छे लोग की आत्मा को शरीर से जबरदस्ती खींचना नहीं पड़ता वह यमदूत के साथ सहजता से चलने को तैयार हो जाता है जिस कारण से अच्छी आत्मा को मृत्यु के समय कोई दर्द नहीं होता


मृत्यु के समय कितना दर्द होता है सरल भाषा में


 सरल भाषा में देखा जाए तो मृत्यु के समय कितना दर्द होता है जैसे एक नारियल सूख जाता है छोड़ देता है पेड़ में लगा फल जब पक जाता है वह बिना पीड़ा के टूट जाता है कच्चा फल तोड़ोगे तो फल और वृक्ष को पीड़ा उठानी पड़ेगी ऐसे ही व्यक्ति जब वह कच्चा होता है यानी उसकी कामवासना कभी पूरी नहीं हो पाती तब वह कच्चे फल की भाती होता है और उसे टूटते समय यानी शरीर छोड़ने समय पीड़ा उठानी पड़ती है तो जब एक जोगी सन्यासी सदर या ज्ञान को प्राप्त व्यक्ति लोक को छोड़ता है।


तब वह किसी उच्च लोक में जाता है जहां उसके कर्मों के अनुसार जो उसने संस्कार जमा किए हैं दुनिया समाज की सेवा की है कोई गलत काम नहीं किया है उसके मुताबिक उसे लोक मिल जाता है जहां उसे किसी भी प्रकार की पीड़ा नहीं भोगनी पड़ती कुछ समय रहने के बाद वह चाहे तो पृथ्वी पर वापस आ सकता है और मानव जाति को ज्ञान देकर महापरिनिर्वाण प्राप्त कर सकता है जहां से वापसी का कोई उपाय नहीं है।


अब बात आती है कि दूसरे लोक में आत्मा कितना समय बिताती है देखिए जब एक साधारण व्यक्ति मरता है तब उसे तुरंत अगला जन्म मिल जाता है दूसरे लोग में वह कितना समय देता है उसे समय का कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता क्योंकि जिस समय को हम जानते हैं वैसे पृथ्वी के मुताबिक है जो की एक माया है यह असल समय नहीं है हर एक आयाम में अलग-अलग समय है


 अब सही समय क्या है और सत्य क्या है इसके बारे में नहीं बताया जा सकता क्योंकि जब आप स्वप्न में होते हो यानी एक अलग आयाम में तब स्वप्न का समय अलग होता है वहां आपका एक सपना मात्र कुछ सेकंड का होता है और उन सेकंड्स में आप इस समय के हिसाब से बहुत लंबा जीवन जी लेते हैं अगर आप अपने एक सपने को बताने के लिए बैठोगे तो बहुत ज्यादा लंबा समय लगेगा जबकि वह सपना अपने स्वप्न लोक में केवल कुछ क्षण के लिए कुछ सेकेंड के लिए देखा है तो समय का कॉन्सेप्ट इतनी आसानी से नहीं समझाया जा सकता है यह सब बात समझने के लिए ध्यान करना पड़ता है साधना करनी पड़ती है।


 जब भी कोई साधना या गहरे ध्यान करते हैं तो वह गहरे ध्यान में चले जाते अगर ऐसा साधना गहरे ध्यान में जाने से पहले कोई सवाल लेकर जाए तब उसे उस सवाल का जवाब गहरे ध्यान में मिल जाता है वेद पुराणों में लिखी गई सभी बातें भगवान या ईश्वर ने नहीं लिखी वेद पुराणों में लिखा सभी ज्ञान साधना को गहरे ज्ञान की अवस्था में मिलता है जिसे वह संगृत करके किताबों में लिख देता है ताकि इससे मानव जाति का कल्याण हो सके और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सके।


Q मरते समय कैसा लगता है?


Ans मरते समय करने वाले व्यक्ति की सांस उल्टी चलने लगती है उसके सामने अंधेरा सचाने लगता है उसके शरीर में थोड़ा सा भी ताकत नहीं भेजता वह उठाना तो चाहता है लेकिन उठ नहीं पता बोलना चाहता है लेकिन कुछ बोल नहीं पता जब मनुष्य की मृत्यु निकट होती है तो उसकी त्वचा पीला पड़ने लगता है।


Q मरते समय दर्द होता है क्या?


Ans गरुड़ पुराण के अनुसार जब किसी बुरी व्यक्ति का मौत होती है तो उसे दर्द महसूस होता है लेकिन जब किसी साधु संत या अच्छे लोगों की मृत्यु होती है तो उसे कोई भी दर्द नहीं होता



मृत्यु के समय क्या दिखाई देता है


मृत्यु के समय आंखों के सामने अंधेरा छाने लगता है उसके हाथ पैर सुन्न हो जाते हैं तथा उसकी परछाई भी दिखाई नहीं देने लगती है


Q क्या मृत्यु के समय कष्ट होता है?


Ans जी हां जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होने वाली होती है उसे समय यमदूत उसके पास आते हैं और जब आत्मा को शरीर से अलग किया जाता है उस समय बहुत ज्यादा कष्ट होता है


Q मृत्यु के तुरंत बाद क्या होता है?


मृत्यु के बाद मृत्यु के तुरंत बाद यमराज के यमदूत आत्मा को लेकर यमलोक जाते हैं


Q मृत्यु के समय दर्द क्यों होता है?


गरुड़ पुराण के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसके आत्मा को लेने के लिए ही हम लोग से यमदूत आते हैं संसार मोह के कारण व्यक्ति की आत्मा शरीर से बाहर निकलना नहीं चाहता है जिसे यमदूत बलपूर्वक शरीर से आत्मा बाहर निकलते हैं जिस कारण से मृत्यु के समय दर्द होता है


Q मौत से पहले क्या महसूस होता है?


Ans  शिव पुराण में बताया गया है कि जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु का समय निकट आता है तो कुछ छान पहले उसके हाथ पैर सुन्न होने लगते हैं वह उठाना तो चाहता है लेकिन उठ नहीं पता है उसके मुंह से आवाज नहीं निकलता वह चिल्लाना तो चाहता है लेकिन कुछ बोल नहीं पता उसके सामने अंधेरा सीखने लगती है उसे कुछ भी दिखाई देता 


निष्कर्ष marte samay kitna dard hota hai


दोस्तों इसलिए के माध्यम से हमने आपको बताया कि मरते समय कितना दर्द होता है जब किसी की मृत्यु होती है उसे समय कितना पीड़ा होता है यानी मृत्यु के समय कितना पीड़ा होता है साइंस और गरुड़ पुराण के अनुसार हमने आपको मृत्यु के समय कितना दर्द होता है इस बारे में पूरी जानकारी बताया है इसके साथ ही हमने आपको बताया कि बुरे व्यक्ति को मृत्यु के समय कितना दर्द होता है अच्छे लोगों को मृत्यु के समय कितना दर्द होता है


मैं आशा करता हूं कि आप समझ गए होंगे कि इंसान की मृत्यु के समय कितना दर्द होता है अगर फिर भी इस पोस्ट से जुड़ी कोई भी सवाल आपके मन में हो तो कमेंट में हमें जरूर बताएं




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