शनिवार, 25 जनवरी 2025

सनातन धर्म मे पीपल की पूजा क्यों किया जाता है? पीपल कि पूजा करने से हमें हमें क्या क्या लाभ है


दोस्तों आज हम आपको बताएंगे की सनातन धर्म में पीपल की पूजा क्यों किया जाता है और इससे हमें क्या लाभ मिलता है हम सब यही जानते हैं कि पीपल की पूजा करने से शनि के प्रकोप से हमें मुक्ति मिलती है यानी जिसकी कुंडली में शनि का दोष होता है वह लोग पीपल की पूजा करते हैं लेकिन क्या आपको पता है पीपल की पूजा करने से सिर्फ ग्रहों से मुक्ति नहीं मिलती है 

बल्कि हमें और भी लाभ मिलता है जिसके बारे में शायद आपको पता नहीं है इसलिए पूरी जानकारी के लिए कृपया इस पोस्ट को पूरा पढ़ें इसमें हम आपको बताएंगे कि पीपल की पूजा क्यों किया जाता है और इससे हमें क्या क्या लाभ मिलता है 

तो सबसे पहले हम यह जानते हैं कि पीपल की पूजा क्यों किया जाता है

पीपल की पूजा क्यों किया जाता है



हिंदू धर्म में पीपल वृक्ष को सर्वोपरि माना गया है जिनमें सभी देवी देवताओं का वास है पीपल की पूजा क्यों किया जाता है जानने के लिए आपको एक कथा के बारे में जानना होगा पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण ने गीता में स्वयं कहा है कि वृक्षों में मैं पीपल हूं

 पीपल के मूल् में ब्रह्मा जी मध्य में विष्णु भगवान तथा अग्रभाग में भगवान शिव निवास करते हैं स्कंद पुराण के अनुसार पीपल के मूल में विष्णु तरी में केशव शाखाओं में नारायण पत्तों में भगवान श्री हरि और फलों में सभी देवताओं का वास है और यदि किसी के कुंडली में शनि का दोष है तो शनिवार के दिन पीपल की पूजा करने से या पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाने से सनी की दोस् से उसे मुक्ति मिलती है

 विज्ञान के अनुसार पीपल के पेड़ से हमें सबसे अधिक ऑक्सीजन मिलता है पीपल एक ऐसा वृक्ष है जो 24 घंटे ऑक्सीजन देता है पीपल एक ऐसा वृक्षा जो किसी भी समय कार्बन डाइऑक्साइड नहीं छोड़ता है अन्य सभी वृक्ष दिन में ऑक्सीजन छोड़ता है और रात में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है

 जिस कारण से हमें कहा जाता है कि रात के समय अन्य वृक्ष के पास नहीं सोना चाहिए क्योंकि वह रात में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है लेकिन पीपल का वृक्ष रात के समय में भी हमें ऑक्सीजन प्रदान करता है इसलिए वैज्ञानिक भी पीपल के वृक्ष को अधिक महत्व देते हैं और पीपल की पूजा करने से हमारे अंदर कि नकारात्मक ऊर्जा दूर होता हे 

पीपल की पूजा किस दिन करना चाहिए


पीपल की पूजा शनिवार को करना चाहिए क्योंकि कहा जाता है कि शनिवार के दिन सुबह के समय में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी पीपल के वृक्ष में निवास करते हैं जिससे शनिवार के दिन सुबह के समय में पीपल वृक्ष की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होते है और मां लक्ष्मी को प्रसन्न होने से जीवन में धन की जुड़ी समस्या से हमें मुक्ति मिल जाती है

 प्राचीन कथा के अनुसार माता लक्ष्मी की बहन दरिद्रा पीपल के वृक्ष में निवास करती है जिस कारण से शनिवार के दिन के अलावा हमें पीपल की पूजा नहीं करना चाहिए 
पीपल वृक्ष की पूजा शनिवार के दिन सूर्योदय से पहले नित्य क्रिया से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ के पास जाएं

 यदि आपको शनी से जुड़ी कष्ट है तो लोटे में जल लेकर उसमें तिल और चावल डालकर पीपल के वृक्ष में जल देना है 

 इसके बाद पीपल के वृक्ष में सिंदूर से 5 टीका लगाना है इसके बाद धूप बत्ती जलाएं 

और वहां कुछ भोग प्रसाद चढ़ा दे इसके बाद पीपल के वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें परिक्रमा पूरा करने के बाद पीपल देवता से प्रार्थना करें

पीपल वृक्ष की पूजा से हमें क्या लाभ मिलता है




पीपल वृक्ष की पूजा करने से शनी जनित कष्टों से मुक्ति मिलती है पीपल वृक्ष की पूजा करने से धन-संपत्ति की समस्या से हमें मुक्ति मिलती है 

अगर आपके ऊपर ग्रहों का दोस् है तो आप पीपल की पूजा जरूर करें पीपल की पूजा करने से ग्रहों के दोस्त साढ़ेसाती से मुक्ति मिलती है

पीपल की पूजा करने से एक साथ में आप सभी देवताओं का पूजा करते हैं जिससे आपका सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है

भगवान विष्णु का वरदान है कि जो भी लोग शनिवार के दिन पीपल की पूजा करेंगे उन्हें जीवन में कभी भी शनिदेव का प्रकोप नहीं सहना पड़ेगा।

आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए पीपल की पूजा करना चाहिए क्योंकि पीपल वृक्ष में भी लक्ष्मी का वास होता है इसलिए पीपल की पूजा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है और अपने भक्तों पर सदैव कृपा दृष्टि बनाए रखती है।



पीपल वृक्ष से जुड़ी कथा


पीपल वृक्ष से जुड कथा कुछ इस प्रकार हैं विष्णु पुराण के अनुसार पीपल में ब्रह्मा विष्णु तीनों महा देवों के अंतिम विद्यमान होते हैं पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी यानी दरिद्रता का भी वास होता है कथा के अनुसार जब  समुद्र मंथन हुआ था तब उनमें से रत्न निकले थे और उनके बीच कुछ उपरत्न आदि निकले थे

 इन्हीं में से एक देवी अलक्ष्मी भी थी भागवत पुराण में समुंद्र मंथन के दौरान लक्ष्मी से पहले उनकी बड़ी बहन  अलक्ष्मी निकली थी जहां देवी लक्ष्मी धन्य धन्य की लक्ष्मी है उनकी पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है उन्हीं के विपरीत देवी  अलक्ष्मी गरीबी और दरिद्रता की देवी है हालांकि उन्हें समुद्र से निकले 14 रत्नों में नहीं गिना जाता है

 ग्रंथों में उल्लेख है कि एक महर्षि ने इसके साथ विभाग किया था जब समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी निकले तब विष्णु जी लक्ष्मी जी से विवाह करना चाहते थे लेकिन मां लक्ष्मी भगवान विष्णु से बोले पहले मेरी बड़ी बहन अलक्ष्मी  का विवाह होगा इसके पश्चात ही मैं आपसे बिबाह करुँगी विष्णू जी धर्म संकट मे पड गए अगर लक्ष्मी की बड़ी बहन के विवाह नहीं होगा तो हम लक्ष्मी से विवाह नहीं कर पाएंगे लेकिन कोई भी देवता गण अलक्ष्मी से बीबाह् के लिए तैयार नहीं हुआ

  तब्    बहुत प्रयास के बाद भगवान् विष्णु ने दुशह नामक ऋषि के साथ   अलक्ष्मी (दरिद्रता) का विवाह सम्पन हुआ बिबाह के बाद अलक्ष्मी ऋषि के साथ था

के आश्रम चली गई  आश्रम मे बैद मंत्र कि जाप हो रही थी जिसे सुनते हि अलक्ष्मी 
बहा से भागने लगी यह देखकर ऋषि      दूँ :सह भी उसके पीछे चल दिए और जंगल में जाकर उसे एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठा दिए और कहा कि जब तक मैं तुम्हारे लिए कोई उचित स्थान ना ढूंढ लुं तब तक तुम यहीं बैठे रहना और यह कह कर दू सह ऋषि वहां से चले गए और दरिद्रता वहीं रह गई और उसी पीपल वृक्ष में वह निवास करने लगी

पीपल की पैड में हमें किस समय में जल चढ़ाना चाहिए

यदि आप पीपल की पूजा करना चाहते हैं और आप पीपल में जल चढ़ाना चाहते हैं तो पूरे नियम के साथ आप को पीपल में जल चढ़ाना चाहिए पीपल में सूर्योदय से पहले जल चढ़ाने से संपूर्ण लाभ मिलता है और इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और शनिदेव की पीड़ा से मुक्ति मिलती है पीपल में शनिवार के दिन सूर्योदय से पहले जल चढ़ाया जाता है पीपल में जल चढ़ाते समय ओम श्री विष्णु का जाप करना चाहिए जिसे भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं

               अंतिम शब्द


दोस्तों आज हमने आपको बताया कि पीपल की पूजा क्यों किया जाता है पीपल की पूजा करने से हमें क्या लाभ मिलता है पीपल की पूजा किस दिन करना चाहिए इसकी पूरी जानकारी हमने आपको दी है मैं आशा करता हूं कि आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा अगर इस पोस्ट से जुड़ी कोई सवाल आपके मन में हो तो कमेंट में हमें जरूर बताएं



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