नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है आज हम आपको बाबा झुमराज की कहानी baba jhumraj ki kahani बताएंगे जो एक सच्ची कहानी है जो आज भी बटिया में बाबा झुमराज स्थित है जहां रोज कई हजार श्रद्धालु आते हैं और बाबा झुमराज की पूजा करते हैं और बाबा झुमराज से जो भी मन्नत मांगते हैं उनकी मन्नते पूरी होती है
बाबा झुमराज की कहानी
बिहार के जमुई जिला सोनो बाजार बटिया में स्थित बाबा झुमराज धाम बसा हुआ है
बाबा झुमराज के मंदिर के पूर्व और दक्षिण की ओर बड़े बड़े पहाड़ व घना घना जंगल से घिरा हुआ है अति सुंदर और मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है
बाबा झुमराज की कहानी इस प्रकार है
। बाबा झुमराज भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे। अपना सारा जीवन भगवान शिव के चरणों में अर्पित कर दिए थे वह हमेशा पूजा पाठ में लीन रहते थे
एक बार की बात है बाबा झुमराज काशी से जल भर कर देवघर में स्थित बाबा बैजनाथ को जल चढ़ाने आ रहे थे
चलते-चलते जब बटिया के जंगल में पहुंचे तब तक दिन ढल छू चुकी थी । अंधेरा जाने को था बाबा ने सोचा यही आराम किया जाए आसपास नजर दौड़ाई वहीं पास में एक कुटिया दिखाई दिया उस कुटिया में रहने वाले का नाम जीवन था बाबा उस कुटिया । मैं विश्राम करने की इच्छा जताई है
जीवन भी भला इंसान था उसने बाबा झुमराज की बात मानकर ठहरने व भोजन का प्रबंध किए जीवन मन ही मन सोच रहा था कि बड़े दिनों के बाद आज संत की सेवा करने का मौका मिला भोजन के बाद बाबा विश्राम करने लगे तभी रात को जंगल से निकलकर बाबा की कुटिया में एक शेर आ गया
बाबा झुमराज के ऊपर टूट पड़ा बाबा अकेले ही कई घंटे तक उस शेर से लड़ते रहे अंत में बाबा शेर से लड़ते-लड़ते लहूलुहान हो गए और अपने प्राण को त्याग दिया वही बटिया जंगल में बाबा अपनी अमर निशानी छोड़ गए सुबह हुए जगजीवन बाबा की कुटिया में आते हैं तो देखता है कि बाबा खून से लथपथ मृत पड़े हैं जीवन बाबा कै लाश को । अपने कुटिया के बाहर । मडुआ के खेत में दफन कर दिए मडुआ का फसल तैयार हो गया था जीवन उस फसल को काट लिया अगले सुबह जीवन जब अपने कुटिया से बाहर निकलता है तो आश्चर्यचकित रह जाता है देखता है कि कल जो मडवा की फसल काटा गया था आज फिर मडुआ के फसल खेतों में फिर से तैयार है जीवन फिर उस मडवा के फसल को रोज काटने लगा यह प्रक्रिया कई दिनों तक चलता रहा जीवन रोज दिन को फसल काट लाता और अगले सुबह उसी खेतों में फसल भरा दिखाई देता अंत में जीवन में सोचा यह जरूर कोई माया है और ईश्वर से प्रार्थना करने लगे
तभी रात को स्वप्न मैं बाबा झुमराज उसे दर्शन दिए और कहा कि तो मेरा सब निकाल कर पहले उसका दाह संस्कार करो और वही मेरा एक पिंड बनाओ और उसकी पूजा करो तुम्हारी सारी मनोकामना पूर्ण होगी
और जो भी भक्त सच्चे मन से हमें पूजेंगे उसकी सारी मनोकामना पूर्ण होगा और मेरा कृपा सदा उन पर बना रहेगा अगले सुबह जीवन वही बटिया में बाबा झुमराज का एक पिंड बनाया और उसकी पूजा अर्चना करने लगे।
आज भी बटिया में स्थित बाबा झुमराज से जो भी सच्चे मन से जो भी भक्त उसकी आराधना करते हैं बाबा उनकी हर इच्छा पूर्ण करते हैं
बाबा झुमराज की पूजा किस किस दिन की जाती है
बटिया में स्थित बाबा झुमराज जिनकी पूजा हर रोज होती है लेकिन मान्यता के अनुसार बाबा झुमराज की पूजा सप्ताह में 3 दिन होता है सोमवार बुधवार और शुक्रवार इस दिन बाबा झुमराज की पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण होता है क्योंकि इस दिन बाबा झुमराज की पूजा का विशेष महत्व माना गया है जो भी श्रद्धालु बाबा झुमराज की पूजा करते हैं और अपने मन में जो भी इच्छा रखते हैं बाबा झुमराज उनकी हर इच्छा को पूरा करता है
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