2022 मैं होली कब है और holi क्यों मनाया जाता है 2022 me holi kab hai in hindi
दोस्तों आज हम बताने जा रहे हैं कि 2022 में होली कब है और इसे क्यों मनाया जाता है होली हिंदुओं का प्रमुख त्यौहर है जिसे बच्चे बूढ़े जवान सब मिलकर मनाते हैं एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं एक दूसरे से गले मिलते
हैं और बड़े धूमधाम से होली के त्यौहार को मनाया जाता है यह त्यौहार हिंदी पंचांग के अनुसार फाल्गुन के पूर्णिमा मास मैं होली 18 march दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा पहले दिन होलिका जलाई जाती है दूसरे दिन सुबह से लेकर दोपहर तक धूल और मिट्टी एक दूसरे के ऊपर फेंकते हैं जिसे धूल खेड़ी कहा जाता है दोपहर को स्नान करने के बाद रंग और गुलाल एक दूसरे को लगाते हैं इस दिन ढोल और बाजे के साथ होली के गीत गाते हैं घर घर जाकर रंग और गुलाल लगाकर एक दूसरे के गले मिलते हैं इस दिन डीजे लगाकर होली के गानों के बजाते हैं और साथ ही साथ नाचते और गाते हैं
1 2022 मैं होलिका दहन मुहूर्त
होलिका दहन तिथि - 17 मार्च दिन गुरुवार को रात्रि के समय
होलिका दहन मुहूर्त - 9:20 से लेकर
10:31 तक
होलिका दहन मुहूर्त की कुल अवधि - एक घंटा 11 मिनट तक
हौली - 18 मार्च दिन शुक्रवार को
2 होलीका दहन से हमें क्या सीख मिलती है
होलिका दहन समय यह सीख मिलती है
की बुराई कितना ही ताकतवर हो लेकिन हमेशा अच्छाई और सच्चाई की विजय होती है और होलिका दहन के लिए कुछ लकड़ियां इकट्ठा करके उसमें आग लगाया जाता है जिससे उनके अंदर की की बुरी शक्ति उसी आग में जल जाता है और अपने जीवन में सच्चाई के मार्ग पर चलने का दृढ़ संकल्प करते हैं
3 होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है
होली क्यों मनाई जाती है होली से जुड़ी एक कथा आज हम आपको बताने जा रहा है प्राचीन काल के समय हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस राजा था जो अपने आप को भगवान मानते थे और दूसरों से अपना पूजा करवाते थे जो व्यक्ति उसकी पूजा नहीं करता था वह उसे मृत्युदंड दे देता था उसे ब्रह्मा जी द्वारा वरदान मिला था की
हमें ना ही कोई मानव मर पाए और ना ही कोई नहीं कोई देवता
हमें ना तो कोई घर के बाहर मार सके और ना घर के अंदर
हमें ना तो कोई अस्त्र से मार सके और ना कोई शस्त्र से
हमें ना कोई दिन में मर सके और ना रात में
हमें ना कोई आकाश में मार सके और ना ही पताल में
यह वरदान पाकर वह अपने आप को अमर समझने लगे उसके राज में नहीं तो कोई भगवान की पूजा कर सकते थे और ना ही भगवान का नाम लिया जाता था हिरण कश्यपका एक पुत्र था जिसका नाम प्रहलाद था जो भगवान विष्णु का अनन्य भक्त थे जब हिरणकश्यप को आपने पुत्र के बारे में पता चला कि उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान के नाम लेते हैं और उनकी पूजा करते हैं तो उन्होंने पुत्र को समझाया कि भगवान की पूजा को छोड़कर तुम हमारी पूजा करो लेकिन प्रह्लाद अपने पिता की पूजा करने से इंकार कर दिया तब हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने के प्रयास करने लगे उन्होंने प्रहलादपुर हाथी के पैर के नीचे कुचल वाया, पहाड़ी से नीचे गिरा दिया, लेकिन वह हर बार जिंदा बच जाता था और हमेशा भगवान विष्णु का नाम ओम नमो भगवते वासुदेवाया की जाप करता था अंत में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को
बुलाया जिसे यह वरदान जिसे यह वरदान था कोई भी आग उसे जला नहीं सकती थी जिस कारण होलीका ने प्रह्लाद को मारने के प्रयास में प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर लकड़ियों की चिता पर बैठ गई और उसमें आग लगा दिया गया तब प्रह्लाद नेभगवान विष्णु का सुमिरन किया और उनके नाम का जाप किया जिससे अग्नि उससे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सका और वह फिर से जिंदा बच गया लेकिन होलीका उसी आग में जलकर राख हो गए क्योंकि होलिका को वरदान के साथ-साथ एक चेतावनी भी दी गई थी क्या अगर वह इस वरदान का दुरुपयोग करेगी या किसी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगी तो यही वरदान उसका अभिशाप बन जाएगा जिस कारण से होली का उस आग में जलकर राख हो गई
उसी समय से होली का यह पर्व मनाया जाने लगा जब हिरण्यकश्यप ने देखा किहमारी बहन होलिका आग में जलकर राख हो गई और प्रह्लाद जीवित बच गया तो उसे क्रोध आ गया और प्रहलाद से पूछा कि भगवान कहां है तब प्रह्लाद ने बताया कि भगवान हर जगह मौजूद है धरती में आकाश में जल में अग्नि में
आप में भी है मुझ में भी है यानी भगवान
कन कन मैं स्थित हे तब हिरण्यकश्यप ने कहा क्या इस खंभे में भी हैं और अपने गद्दे से उस खंभे पर प्रहार किए तब भगवान विष्णु नरसिंह के अवतार लेकर उस खंभे से प्रकट हुए और उन्होंने हिरण्य कश्यप को संध्या के समय जब न हीं दिन था और ना ही रात था नहीं घर के बाहर और ना ही घर के अंदर चौखट पर नहीं आकाश में और ना ही पताल में अपनी जॉघ पर नहीं अस्त्र से और ना ही शस्त्र से अपने नाखूनों से उसे मार डाला और धरती से पाप का अंत किया और तभी से यह होली पर्व मनाया जा रहा है जिसे बुराइयों से अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है
सब लोग उस दिन दुश्मनी को भूल कर एक दूसरे से गले मिलते हैं
सभी के जीवन में खुशियां और रंग भरते हैं लोगों के जीवन को रंगीन बनाने के कारण इस त्यौहार को रंग महोत्सव भी कहा जाता है
4 होली के त्यौहार को इतना महत्व क्यों मिलता है
होली एक ऐसा त्यौहार है जिसमें आपस के प्रेम बढ़ता हैसब लोग उस दिन दुश्मनी को भूल कर एक दूसरे से गले मिलते हैं
सभी के जीवन में खुशियां और रंग भरते हैं लोगों के जीवन को रंगीन बनाने के कारण इस त्यौहार को रंग महोत्सव भी कहा जाता है
यह त्यौहार लोगों के बीच एकता और प्यार लेकर आता है इसलिए इसे प्यार का त्यौहार भी कहा जाता है
यह त्यौहार मन को तनोताजा कर अटूट रिश्ता कायम करता है
आज हमने आपको बताया कि 2022 में होली कब है
2022 में होलिका दहन मुहूर्त की जानकारी दी है
और हमने यह भी बताया कि होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है और होली के त्यौहार को इतना महत्व क्यों दिया जाता है और भी होली से जुड़ी कोई जानकारी के बारे में जानना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं और अगर मेरा पोस्ट पसंद आया हूं तो इसे अपने दोस्तों में शेयर करें
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