बुधवार, 26 जनवरी 2022

जानिए साल 2022 में करवाचौथ ब्रत कब है - karvachoth kyo manaya jata hai

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करेंगे की साल 2022 में करवा चौथ व्रत कब है और करवा चौथ व्रत क्यों मनाया जाता है सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत ही खास महत्व माना गया है करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है

ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से सुहागिन महिला के पति का आयु बढ़ती है और इस दिन व्रत रखने से उसे सदा सुहागन का आशीर्वाद मिलता है

सनातन धर्म के महिलाएं पूरे वर्ष भर करवा चौथ व्रत का बेसब्री से इंतजार करती है और व्रत आने पर पूरा दिन निर्जला व्रत रखकर रात्रि के समय चांद देखकर व्रत पूरा करती है 
क्या आप जानते हैं 2022 me karvachoth brat kab hai  हम आपको करवा चौथ के बारे में पूरी जानकारी देंगे आज हम आपको बताएंगे 

साल 2022 में करवा चौथ व्रत कब है (  sal 2022 me karvachoth brat kab hai)






साल 2022 में करवा चौथ व्रत 13 अक्टूबर 2022 गुरुवार के दिन रखा जाएगा

2022 करवा चौथ पूजा मुहूर्त

गुरुवार के दिन शाम 5:43 मिनट से लेकर शाम 6:59 तक शुभ पूजा करने का शुभ मुहूर्त है

चंद्रोदय

संभावित रात 9:07 पर पूर्ण चंद्रमा दिखाई देगा

चतुर्थी तिथि आरंभ

चतुर्थी 13 अक्टूबर को प्रातः 3:01 फिर शुरू होगी

चतुर्थी तिथि समाप्त

15 अक्टूबर शुक्रवार के दिन प्रातः 5:43 पर समाप्त होगी

उपवास का समय

गुरुवार सुबह 4:27 से शुरू कर रात 9:30 पर पूर्ण चंद्रमा दिखाई देने के बाद अपना व्रत खोलें

करवा चौथ पर चंद्रमा का पूजा करने का खास महत्व







चंद्रमा को हिंदू  हिंदू धर्म शास्त्रों में उम्र आयुष सुख समृद्धि और शांति का कारक या रूप माना जाता है कहा जाता है कि चंद्रमा की सच्ची श्रद्धा से पूजा करने पर वैवाहिक जीवन सुखी होता है
 और पति की आयु लंबी होती है 

इसलिए हर सुहागन स्त्री को करवा चौथ का व्रत कर चंद्रमा की पूजा करना चाहिए जिसे उसके विवाहित जीवन मैं सुख शांति बनी रहे

करवा चौथ व्रत की पूजा विधि


इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व

इस दिन महिलाओं को सूर्योदय से पूर्व स्नान करती है

करवा चौथ के दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती है

संध्या को पूजा के स्थान पर या घर की दीवार पर गेरू से फलक बनाकर चावल को पीसती है इस विधि को करवा भरना के नाम से जाना जाता है

जिसके बाद दीवार पर कागज पर भगवान शिव और कार्तिके की प्रतिमा बनाई जाती है

विधिवत पूजा कर करवा चौथ व्रत की कथा का वाचन करना चाहिए

पूजन के बाद चंद्रमा को अर्ध देना चाहिए

चंद्रमा को अर्घ छलनी की और से दिया जाता है

इसके बाद करवा के पानी पिया जाता है

इसके बाद पति से आशीर्वाद लेकर महिलाएं अपना उपवास खोलती है


करवा चौथ क्यों मनाया जाता है

अखंड सौभाग्यवती और पति की लंबी आयु की कामना करने के लिए महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती है इस दिन चंद्रमा को अरे मिट्टी के द्वारा बने हुए पात्र से दिया जाता है इसी कारण इस पूजा में करवा का विशेष महत्व होता है पूजा करने के बाद इस करवा को घर में संभाल कर रखा जाता है या किसी योगी महिला को दान में दे दिया जाता है इस दिन महिलाएं पूरा दिन उपवास रखकर मां करवा की पूजा करती है

और मां करवा से प्रार्थना करती हम की है मां जिस तरह आपने अपनी सुहाग की रक्षा की उसी तरह आप हमारे सुहाग की भी रक्षा करें

करवा चौथ की शुरुआत कैसे हुई

अगर आप करवा चौथ के शुरुआत के बारे में जानना चाहते हैं तो उसके लिए आपको करवा चौथ की धार्मिक कथा के बारे में जानना होगा


पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन समय में करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री थी एक दिन जब उस स्त्री का पति स्नान करने के लिए नदी में गया 

स्नान करते समय एक मगरमच्छ उसका पैर पकड़ लिया और निकलने के लिए खींचने लगा

तब वह अपने सहायता के लिए अपनी पत्नी करवा को पुकारने लगा करवा एक पतिव्रता स्त्री थी वह अपने पति की पुकार सुनकर नदी के तट पर पहुंची

और मगरमच्छ के मुंह से अपने पति के पैर निकालने की कोशिश करने लगे लेकिन मगरमच्छ उसके पति का पैर अपने मुंह में पूरी तरह से जकड़ चुका था

जिसे उसका सारा प्रयास विफल गया तब करवा अपने पति के प्राण बचाने के लिए अपने सूती साड़ी से धागा निकालकर पतिव्रत तपोबल के माध्यम से उस मगरमच्छ को बांध दिया

सूत के धागे से मगरमच्छ को बांधकर करवा उसे लेकर यमराज के पास पहुंची यमराज ने करवा से पूछा हे देवी आप यहां क्या कर रही है

और आप चाहते क्या है तब करवा ने यमराज से कहा इस मगरमच्छ ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया था और उसे खाने की कोशिश कर रहा था

इसलिए आप अपने शक्ति से इसे मृत्युदंड दे और इसे नरक में ले जाएं तब यमराज ने कहा हे देवी इसका समय अभी पूरा नहीं हुआ इसका आयु अभी शेष है

इसलिए मैं अभी से मृत्यु नहीं दे सकता हूं

इस पर करवा ने कहा अगर आप मगरमच्छ को मार कर मेरे पति को दीर्घायु का वरदान नहीं देंगे

तब मैं अपने तपोबल के माध्यम से आप को ही नष्ट कर दूंगी करवा की बात सुनकर यमराज के समीप खड़े चित्रगुप्त सोच में पड़ गए

क्योंकि करवा के सतीत्व को देखकर यमराज सोच में पड़ गए यदि करवा के द्वारा कहे गए वचन को पूरा नहीं किया तो वह अपने सतीत्व के तब तपोबल से उसे श्राप भी दे सकति है

 और वह करवा के द्वारा वचन के अनुसार मगरमच्छ को मारकर उसे यमलोक भेज दिया और करवा के पति को दीर्घाय का वरदान दे दिया

और साथ ही चित्रगुप्त ने करवा को आशीर्वाद दिया कि तुम्हारा जीवन सुख समृद्धि से भरपूर होगा

 चित्रगुप्त ने कहा कि जिस तरह तुमने अपने तपोबल से अपने पति की रक्षा कि है उससे मैं बहुत प्रसन्न हूं और मैं तुम्हें वरदान देता हूं कि कि आज के तिथि के दिन जो भी महिला पूर्ण विश्वास के साथ तुम्हारा पूजन और व्रत करेगी

उसकी सौभाग्य कि मैं रक्षा करूंगा उस दिन कार्तिक मास की चतुर्थी होने के कारण कारवां और चौथ मिलने से इसका नाम करवा चौथ पड़ा

इस तरह मां करवा पहली महिला है जिन्होंने सुहाग की रक्षा के लिए ना केवल व्रत किया बल्कि करवा चौथ की शुरुआत भी की


करवा चौथ व्रत कथा





बहुत समय पहले की बात है किसी गांव में एक साहूकार रहता था उसके साथ पुत्र और एक पुत्री की एक बार कार्तिक मास के की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी करवा चौथ के दिन साहूकार की पत्नी सहित सातौ बहु और उसकी बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा

 फिर जब शाम हुई तो साहूकार के बेटे खाना खाने गए  तो उन्होंने अपनी बहन से कहा बहन अब शाम हो गई है आओ खाना खा लो तब उसकी बहन ने कहा नहीं भैया आज मेरा करवा चौथ का व्रत है

 और अभी चांद भी नहीं निकला है चांद निकलने पर उसे  देख कर ही आज मैं भोजन करूंगी यह सोचा तो भाई मायूस हो गए क्योंकि वे सभी अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे 

और बहन को भूख से व्याकुल नहीं देख पा रहे थे फिर सभी भाई गांव के पास वाली पहाड़ी पर गए और वहां उन लोगों ने एक दीपक जला कर रख दिया

 और फिर सभी घर आकर बहन से बोले देखो बहन चांद निकल आया है अब देख कर तुम खाना खा सकती हो भाइयों की बात सुनकर साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों को बुलाया और उससे कहा देखो भाभी चांद निकल आया है

 आओ हम सभी अर्घ देकर भोजन कर लें किंतु अपने पतियों की करतूत जानती थी उन्होंने कहा ननद जी अभी चंद्रमा नहीं निकला है

 तुम्हारे भाई चलाकि करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे हैं किंतु बहन ने भाभियों की बात पर ध्यान नहीं दिया

 और भाइयों द्वारा दिखाएं प्रकाश को ही अर्घ्य देकर भोजन करने बैठ गए किंतु जैसे ही पहला  कौर कोर खाया उसे छिक आ गई

 उसने सोचा कि शायद दिन भर भूखी थी इसी कारण से छींक आ गई जब उसने दूसरी कोर खाने की सोची तो उसमें से बाल निकल आया 

और फिर थोड़ी देर बाद उसके ससुराल से समाचार आया कि उसका पति बीमार हो गया और उसे जल्द से जल्द आने को कहा है जब उसके मां को यह बात पता चलीतो आप ने बेटी को विदा करने के लिए साड़ी निकालने लगी

तो उसमें भी अपशगुन होने लगावह जब भी साड़ी निकालने के लिए बक्से में हाथ डालती तो बक्से से कालि  या सफेद साड़ी हि निकलती थी

काफी देर तक यही सिलसिला चलता रहा फिर साहूकार की बेटी अपने मां से बोली मा यह सब रहने दो 

मेरे पास समय नहीं है मैं ऐसे ही जा रही हूं और फिर वह अपने ससुराल के लिए चल पड़ी

तब उसके मां ने कहा बेटी रास्ते में जो कोई भी मिले उसे प्रणाम करते जाना बेटी बोली ठीक है नाऔर वह अपने ससुराल चलत दी

रास्ते में उसे जो भी मिलता वह उसे प्रणाम करती और आगे बढ़ जाती जब अपने ससुराल पहुंची तो दरवाजे पर उसकी छोटी ननंद मिली

साहूकार की बेटी ने उसके भी पांव छुऐ तब उन्होंने आशीर्वाद दिया सदा सुहागन रहो पुत्रवती भव:

इसके बाद जब वह घर के अंदर गई तब उन्होंने देखा कि उसके पति का सब घर के आंगन में जमीन पर रखा है

और उसके अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट में ले जाने की तैयारी हो रही है और फिर वह अपने पति के सब के पास गए और इस शब् से लिपट कर जोर जोर से रोने लगी

उसके बाद जैसे ही सब लोग उसके पति के अंतिम संस्कार के लिए ले जाने लगे तवा चिल्लाते हुए बोली

कि मैं अपने पति को नहीं ले जाने दूंगी और जिद करने लगी साहूकार की बेटी हूं लोगों से बोली मैं भी इनके साथ चल साथ चलूंगी 

और फिर साथ-साथ शमशान चली गई श्मशान घाट पहुंचने पर जब उसके पति के अंतिम संस्कार का समय आया और उसे चिता पर ले जाया जाने लगा तो वह बोली मैं अपने पति को चलाने नहीं दूंगी

 यह सुनकर श्मशान घाट पर मौजूद लोगों ने उसे काफी समझाया लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ी रही तब गांव वाले आपस में बातें करने लगे की  यह केसी महिला है

 जो पहले तो अपने पति को निगल गई और अब उसे मुक्ति भी नहीं मिल रही इन बातों का भी साहूकार की बेटी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा

 और वह अपने पति के शव को लेकर वहीं बैठी रही तब गांव वालों ने निर्णय किया कि से यही छोड़ दिया जाए

 और इसके रहने के लिए छोटी सी झोपड़ी बनवा दी जाए गांव वाले अपने अपने घर वापस लौट आए उधर साहूकार की बेटी अपने पति के शव को लेकर वहीं रहने लगी 

और पति को जीवित करने के लिए और चौथा का व्रत करने लगी चौथ के दिन वह पूरे दिन व्रत रखती और फिर शाम को चंद्रमा को अर्घ देती

 और ज्योति जलाती और चौथ माता से प्रार्थना करती है कि उसके पति का जीवन लौटा दे इसी तरह कई चौथ बित गऐ उसने हर चौथ के दिन व्रत रखा

 और चांद को अर्घ दिया और अंत में जब कार्तिक महीने का चौथ करवा चौथ आया तो उसने अपने ननंद से कहा कल जब तुम यहां आओगे तो मेरे लिए 16 श्रृंगार और सुहाग का सारा सामान लेती आना उधर पहुंची

 और उसने यह बात अपनी मां को बताई तो उसने पहले तो सोचा कि उसकी बहू पागल हो गई है फिर उसने अपनी बेटी से कहा तुम्हारी भाभी ने जो कुछ मंगवाया है उसे कल दे आना

 फिर साहूकार की बेटी ने अगले दिन करवा चौथ का व्रत रखा और और सोलह सिंगार किया और सारा सुहाग सामान पहन कर गई और शाम को चांद निकलने पर चौथ माता की पूजा की

 और चौथ माता प्रकट हुई और बोली भाइयों की प्यारी कर ले दिन में गाने वाली कर बोले यह सुन उसने उनके पैर पकड़ लिया और बोली माता मेरा सुहाग वापस करो माता देवी ने कहा बहनों की प्यारी तुझे सुहाग से क्या लेना देना तुझे सुहाग से ज्यादा भोजन प्यारा है

 यह सुनकर साहूकार की बेटी बोली माता मुझसे भूल हो गई क्षमा कर दो तब माता ने कहा कि मेरा पांव छोड़ दो मेरा जाने का समय हो गया है साहूकार की बेटी बोली नहीं माता जब तक आप मेरे पति को वापस नहीं करेंगे तब तक मैं आपको छोड़ने वाली नहीं हूं 

इसके बाद माता के बार बार कहने पर भी उसने उनके पैर नहीं ही छोड़े तब देवी बोली क्या तुम अपने सुहाग भी बोली थी  का सामान मुझे दे सकती हो तो साहूकार की बेटी ने कहा माता सुहाग का सारा सामान क्या मैं अपने पति के लिए अपनी जान भी दे सकती हूं

इसके बाद उसने सुबह का सारा सामान माता को दे दिया तब माता ने अपने आंखों से काजल निकाला हाथों से मेहंदी निकाली फरमान से अपना सिंदूर निकाला और फिर उन्होंने अपनी उंगली उसके पति के मुंह में दे दिया

फिर कुछ देर के बाद उसका पति जीवित हो गया यह देख साहूकार की बेटी साहूकार की बेटी खुशी से झूम उठे और उन्होंने माता को शत-शत प्रणाम किया

और चौथ माता जाते जाते उसकी झोपड़ी को महल में बदल दिया उधर देर रात जब उसकी नाना दोस्त से मिलने आई तो वहां देखा झोपड़ी की जगह महल बन गया है यादें सबसे बड़ा ही आश्चर्य हुआ

फिर वह डरते डरते महल के अंदर गई जहां उसने देखा कि उसका भाई जीवित हो गया है

फिर साहूकार की बेटी की नजर जब उसकी ननद पर पड़ी तब उन्होंने अपनी ननद से कहा देखो नाना जी आपका भाई जीवित हो गया है

फिर दोनों गले मिले और रोने लगी फिर जब उसकी ननद अपने घर आकर अपनी मां से कहा मां भाई जिंदा हो गया है 

तब उसकी मां बोली कि लगता है बेटी तुम भी अपनी भाभी की तरह पागल हो गई हो यह सुनकर बेटी मैंने देखा है भाई सच में जिंदा हो गया

और भाभी ने आपको गाजियाबाद जे के साथ आने को कहा है और उसके बाद सभी घरवाले गाजे-बजे के साथ अपनी बहू को लेने पहुंच गई

वहां पहुंचकर साहूकार की बेटी की सास ने देखा कि सच में उसका बेटा जिंदा है और उस झोपड़ी की जगह महल बन गया है तब अपने बहू के पैर छूने लगी

नहीं मां आप मेरा पैर मत छुओ देखिए आपका बेटा वापस आ गया है तब मैंने कहा बेटी तुम धन्य हो

मैंने तो अपने बेटे को मरा हुआ समझ लिया था लेकिन तुम्हारी तपस्या के कारण आज मेरा बेटा जिंदा हो गया

इसके बाद फिर से वह अपने पूरे परिवार के साथ रहने लगी इसलिए जो भी सुहागिन महिलाएं करवाचौथ के दिन करवा चौथ का व्रत रखती है उसे सदा सुहागन का आशीर्वाद मिलता है

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1 करवा चौथ का व्रत कौन रखती है

करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना और सदा सुहागन का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए के लिए रखती है

2  करवा क्या होता है

करवा मिट्टी या अन्य धातु से बने हुए पात्र होता है जिसमें करवा चौथ सुहागिन महिलाएं अपनी व्रत खोलने के लिए करवा का पानी पीता है

3 साल 2022 में करवा चौथ का व्रत कब है

साल 2022 में करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर गुरुवार के दिन रखा जाएगा

4 करवा चौथ का व्रत कैसे मनाएं

करवा चौथ के दिन प्रातः काल उठकर अपने घर की साफ सफाई कर ले

करवा चौथ के दिन चांद निकलने तक उपवास रखें

करवा चौथ के दिन करवा चौथ व्रत कथा सुने

करवा चौथ के पूजा करने के लिए पूजा सामग्री में रोली घी दीपक पुष्प चंदन  इत्यादि सामान रखकर पूजा की तैयारी करें

चंद्रमा निकलने की आधे घंटे पहले पूजा शुरु कर दें

और चंद्रमा निकलने के बाद छलनी की ओर से अर्घ्य देकर उसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखकर अपना व्रत खोलें

अंतिम शब्द

आज हमने आपको बताया कि साल 2022 में करवा चौथ व्रत कब है करवा चौथ का व्रत कैसे मनाएं करवा चौथ का व्रत क्यों मनाया जाता है करवा चौथ से जुड़ी पूरी जानकारी हमने आपको दी है

मुझे आशा है कि आप जान गए होंगे कि साल 2022 में करवा चौथ व्रत कब है और करवा चौथ व्रत क्यों मनाया जाता है यदि करवा चौथ से जुड़ी कोई सवाल आपके मन में हो तो कमेंट में हमें जरूर बताएं










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