आज हम जानेंगे कि 2022 में रक्षाबंधन कब है raksha bandhan shubh muhurat date and time 2022 क्या आप जानते हैं कि 2022 में रक्षाबंधन कब है और रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त क्या है रक्षाबधन 2022 में किस तारीख को है रक्षाबंधन का इतिहास क्या है अगर आपको यह सब जानकारी चाहिए तो कृपया इस पोस्ट को पूरा पढ़ें रक्षाबंधन भाई बहन का प्रसिद्ध त्योहार है जिसे भाई और बहन का पर्व माना गया है इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई अपने बहन की रक्षा के वचन देते हैं रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन से राखी बनवाने के लिए उसके घर जाते हैं या बहन अपने भाई को राखी बांधने के लिए अपने मायके जाती है रक्षाबंधन हिंदुओं का एक विशेष पर्व माना गया है 1 वर्ष के बाद यह त्यौहार आता है रक्षाबंधन का पर्व हर साल सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है
2022 मे रक्षाबंधन कब है 2022 me raksha bandhan kab hai
अब हम जानेंगे कि 2022 में रक्षाबंधन कब है -
• 2022 में रक्षाबंधन का पर्व 11 अगस्त 2022 दिन गुरुवार श्रावण की पूर्णिमा को मनाया जाएगा
• भद्रा काल समाप्त होने का समय है 11 अगस्त की रात्रि को 11:51 पर
• प्रदोष काल में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 11 अगस्त 2022 को रात्रि के समय 8:52 मिनट से लेकर रात्रि 9:13 तक
• पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 अगस्त 2022 को सुबह 10:40 पर
•पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी 12 अगस्त 2022 को सुबह 7:05 पर
इस दिन बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधती है और अपने भाई को उनके पसंद के मिठाई खिलाती है और अपने भाई को राखी बांधते समय भाई की लंबी उम्र उनके सुख तथा उन्नति की कामना करती हैं
रक्षाबंधन 2022 शुभ मुहूर्त (rakshabandhan subh muhurat 2022)
Raksha bandhan 2022 me 11-08-2022 ,Thursday ko hai
शुभ मुहूर्त प्रारंभ
11 - 08 - 2022 को 8:52 pm
शुभ मुहूर्त समाप्त
11-08-2022 को 9:13 pm
प्रदोष काल प्रारंभ
11-08-2022 को. 8:52 pm
प्रदोष काल समाप्त
11-08-2022 को 9:13 pm
रक्षाबंधन मनाने की विधि ( rakchhabandha manane ki vidhi )
रक्षाबंधन बनाने की विधि कुछ इस प्रकार हैं
रक्षाबंधन के दिन प्रात: काल उठकर दैनिक कार्य से निवृत्त होकर
लड़कियों अथवा महिला को पूजा की थाली सजाना चाहिए
इसमें रोली चावल दीपक मिठाई नवेद आदि होना चाहिए
फिर पुरुष सदस्य अथवा भाई तैयार होकर पूरब की ओर मुंह करके बैठ जाएं और अनिष्ट देवता की पूजा करने के पश्चात रोलि या हल्दी से अपने भाई को तिलक लगाना चाहिए
इसके बाद चावल और हल्दी से तिलक लगाएं और अपने भाई पर छिड़के
तत्पश्चात अपने भाई की आरती उतार कर
अपने भाई की दाहिने कलाई पर राखी बंधे और उसे मिठाई खिलाएं
इसके बाद अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करें अगर आपका छोटा भाई हो तो उसे आशीर्वाद देना चाहिए
रक्षाबंधन के अनुष्ठान पूरा होने तक भाई एवं बहन को व्रत रखना चाहिए
रक्षाबंधन के अपने बहन से राखी बनवने के बाद भाई अपने बहन को कोई उपहार अवश्य दें यह जरूरी नहीं कि आप कोई महंगे गिफ्ट दे आप अपनी क्षमता अनुसार गिफ्ट दे एक छोटा सा गिफ्ट पाकर बहन इतनी खुश होती है जिसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि वह उनके भाई के द्वारा रक्षाबंधन के दिन दिया हुआ गिफ्ट होता है
रक्षाबंधन की राखी का महत्व ( rakshabandhan ki rakhi ka mahatv )
रक्षाबंधन की राखी का विशेष महत्व दिया गया है रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई अपनी बहन की जीवन भर रक्षा करने का वचन देता है रक्षाबंधन भाई बहन का प्रसिद्ध त्योहार है रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई की तरक्की का ईश्वर से प्रार्थना करती है रक्षाबंधन एक ऐसा त्यौहार है इस दिन अगर कोई लड़की किसी भी लड़की या पुरुष को राखी बांधती है
तो वह लड़का उसे अपने बहन के रूप में उसे स्वीकार करता है और जीवन भर उसकी रक्षा का वचन देता है रक्षाबंधन के दिन बहन के द्वारा बांधा गय एक छोटा सा धागा भाई का सुरक्षा कवच बन जाता है रक्षाबंधन का त्यौहार आज से नहीं बल्कि सदियों से मनाया जा रहा है
जिसका वर्णन द्वापर युग के समय महाभारत में भी किया गया है रक्षाबंधन के और भी कई कथाएं प्रचलित हैं
रक्षाबंधन पर्व कब शुरू हुआ
रक्षाबंधन का वर्णन भविष्य पुराण में भी मिलता है रक्षाबंधन का त्यौहार कब शुरू हुआ यह कोई नहीं जानता कहा जाता है कि देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ युद्ध में दानव देव पर भारी पड़ने लगा तब देवराज इंद्र गुरु बृहस्पति के पास गए इसकी जानकारी जब देवराज इंद्र को मालूम हुआ तब देवराज इंद्र की बहन मंत्रों की शक्ति से एक धागा तैयार किया और अपने भाई देवराज इंद्र के दाहिने कलाई पर बांध दिए
देवराज इंद्र के द्वारा मंत्र की शक्ति से तैयार किया गया धागा बांधने के कारण वह धागा सुरक्षा कवच बन गया और देवराज इंद्र दानवों को हराकर उस पर विजय प्राप्त किया संयोग से वह दिन सावन की पूर्णिमा का दिन था इसी दिन के सावन पूर्णिमा के दिन उस धागे को राखी के रूप में बांधने की प्रथा चली आ रही है
यह धागा धन शक्ति और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना गया है
रक्षाबंधन की कथा
रक्षाबंधन से जुड़ी एक और कथा है जो लक्ष्मी जी ने बाली को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया था यह कथा उस समय की है जब वाली सो का करने का संकल्प ले लिया जिससे इंद्र भयभीत हो गया कि यदि बालि का 100 यज्ञ पूर्ण हो गया तब इंद्र के सिंहासन की अधिकारी हो जाएगा लेकिन असफल रहे तब सभी देवताओं के आगरा पर भगवान विष्णु वामन की अवतार धारण कर वाली से तीन पग भूमि दान में मांग लिया और दो ही पग में तीनो लोक माप लिया कव्वाली अपने वचन के अनुसार तीसरा पग अपने सर पर रखने को कहा जिससे वह पता लोक में चला गया
बालि पताल लोक जाकर भगवान विष्णु का तपस्या करने लगे तपस्या पूर्ण होने पर भगवान विष्णु उसे दर्शन दिए और वर मांगने को कहा तब वाली ने वर के रूप में भगवान विष्णु को पाताल लोक में रहने की मांग की हे प्रभु आप पताल लॉक में रहकर हमारे राज्य की रक्षा करें अपने भक्त की इच्छा पूर्ति के लिए भगवान विष्णु पताल लोक में रहने लगे बैकुंठ में मां लक्ष्मी अकेले हो गई
जिससे मां लक्ष्मी परेशान हो गई एक ब्राह्मणी का रूप लेकर बलि के महल में रहने लगी और 1 दिन बलि के हाथों में राखी बांध दी जिसके बदले में बली उस ब्राह्मणी को कुछ मांगने को कहा उसे पता नहीं था कि स्वयं मां लक्ष्मी ब्राह्मणी के रूप में है तब मां लक्ष्मी विष्णु जी को उनके साथ वापस लौटाने का आग्रह किया इससे पहले ही बली कुछ भी मांगने का का वचन दे दिया था इसलिए उन्हें भगवान विष्णु को मां लक्ष्मी के साथ जाने की अनुमति दे दी इसलिए राखी को बहुत से जगह है बलेवा भी कहा जाता है
रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन की रक्षा करने का वचन क्यों देते हैं
हम सब जानते हैं कि रक्षाबंधन के दिन बहन के भाई को राखी बांधती है तो भाई अपने बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं क्या आप जानते हैं की बहन को रक्षा करने का वचन क्यों दिया जाता और यह कब से शुरू हुआ इसके पीछे क्या इतिहास है आइए जानते हैं
इतिहास में कृष्ण और द्रौपदी की कहानी भी प्रसिद्ध है कहा जाता है कि जब भगवान श्री कृष्ण शिशुपाल का वध करने के लिए अपना सुदर्शन चक्र छोड़ा था तब उसका अंगुली घायल हो गया था तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी की पल्लू को फाड़ कर श्री कृष्ण के अंगुली में बांधा था जिसके लिए भगवान श्री कृष्ण द्रौपदी को अपना बहन मानकर किसी भी संकट से उसकी रक्षा करने का वचन दिया था और जब पांडव हुए में अपना सारा संपत्ति गांव में लगाकर हार गए इसके बाद वह अपनी पत्नी द्रोपदी को भी जुड़े हुए दांव पर लगा दिया और उसे भी जुए में हार गए तब दुशासन दुर्योधन की आज्ञा पर द्रोपदी का साड़ी खींचने लगा तब द्रोपदी सभा में बैठे सभी सदस्य अपनी रक्षा की गुहार लगाई लेकिन उसकी रक्षा करने के लिए कोई आगे नहीं आया तब उन्होंने अपने मान और सम्मान की रक्षा करने के लिए श्री कृष्ण को पुकारा तब भगवान श्रीकृष्ण द्रोपदी की पुकार सुन उसकी मान सम्मान की रक्षा किए और अपने बहन को दिए गए वचन निभाए ऐसा कहा जाता है कि तभी से बहन द्वारा बहन भाई को राखी बांधने पर बहन की रक्षा करने का वचन देने की परंपरा शुरू हुआ तभी से वह जब अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है तब भाई उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं और भाई उस वचन को निभाने का हर संभव प्रयास करते हैं
रक्षाबंधन का अर्थ (rakshabandhan ka arth )
रक्षा - रक्षा का अर्थ सुरक्षा होता है यानी रक्षा प्रदान करना होता है जो रक्षाबंधन के दिन जब बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है तब भाई अपने बहन कि आजीवन सुरक्षा का वचन देता है और जीवन भर उसका पालन करता है
बंधन - बंधन का अर्थ एक गांठ एक डोर जो भाई-बहन का एक अनोखा रिश्ता बनता है जो भाई बहन के प्यार को दर्शाता है जो भाई बहन को एक अटूट बंधन में बनता है जब वहन अपने भाई को को राखी बांधती है तब बहन अपने भाई की लंबी आयु की शुभकामना करती हैं और अपने भाई के जीवन में आने वाली बाधा और विघ्नों से मुक्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करती है
कच्चे सूत रंगीन कलावे रेशमी धागे से बने राखी को अधिक महत्व दिया गया है
राखी को रक्षा सूत्र के नाम से भी जाना जाता है जब किसी की कलाई पर राखी बांधी जाती हैं वही राखी रक्षासूत्र बनकर उसे रक्षा प्रदान करता है
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है
रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं यह सवाल बहुत लोगों के मन में आता है इसका जवाब यह है कि यह त्यौहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि भाई बहन के प्रति कर्तव्य को जाहिर करता है इसे केवल सनी भाई बहन ही नहीं बल्कि कोई भी स्त्री पुरुष जो कि इस पर्व की मर्यादा को समझते हैं इसका पालन कर सकते हैं इस मौके पर एक बहन अपने भाई के कलाई में राखी बनती है वह भगवान से मांगती है कि उसका भाई हमेशा खुश रहें स्वस्थ रहें और भाई राखी के बदले में कोई तोहफा प्रदान करता है रक्षाबंधन का त्यौहार कोई भी मना सकता है चाहे वह अपना सगा भाई बहन हो या फिर किसी और को भी राखी बांधकर उसको अपना भाई बना सकता है आपको समझ में आ ही गया होगा कि रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं
रक्षाबंधन का इतिहास
रक्षाबंधन का भी एक इतिहास है जिसके बारे में आज हम जानते हैं यह कहानी सम्राट एलेग्जेंडर और रानी पूरो की है राखी बंधन के सबसे पुरानी कहानी सन 320 मैं हुई थी एलेग्जेंडर जिसे सिकंदर के नाम से भी जाना जाता है
एलेग्जेंडर अपने पूरे सेना के साथ भारत को जीतने के लिए आया था उस समय भारत में सम्राट पोरस को एक महान सम्राट के रूप में जाना जाता था वह कभी भी किसी से हारा नहीं था और सिकंदर पूरे भारत पर अपना कब्जा करना चाहता था लेकिन जब एलेग्जेंडर (सिकंदर) को पोरस से सामना हुआ जिसमें अलेक्जेंडर पूरी तरह से घायल हो गया एलेग्जेंडर की पत्नी घबरा गए कि कहीं पोरस के हाथों एलेग्जेंडर की मारा जाएगा
जब एलेग्जेंडर की पत्नी को रक्षाबंधन के बारे में पता चला तब उन्होंने और उसके लिए एक राखी भेजी जिससे वो एलेग्जेंडर को जान से ना मारे और पोरस ने भी अपने पहन का कहना माना और एलेग्जेंडर पर हमला नहीं किया
रक्षाबंधन की कहानी
रक्षाबंधन की दूसरी कहानी रानी कर्णावती और हुमायूं का है रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं की कहानी का कुछ अलग ही महत्व है यह कहानी उस समय की है जब राजपूतों को बाहरी देश मुसलमान राजाओं से युद्ध करना पड़ रहा था
अपने राज्य को बचाने के लिएराखी उस समय भी प्रचलित थी उस समय भी अगर कोई बहन किसी भी राजा को राखी भेजता था तो वह तुरंत उसकी रक्षा करने के लिए उसके पास जाता था और उनके शत्रु से उनकी रक्षा करता था उस समय चित्तौड़ के रानी कर्णावती हुआ करती थी
वह एक विधवा रानी थी और ऐसे में गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने उस पर आक्रमण कर दिया सुल्तान बहादुर शाह का सेना बहुत बड़ा था जिससे रानी कर्णावती अपने राज्य को बचाने के लिए सम्राट हुमायूं को राखी भेजी बदले में सम्राट हुमायूं ने भीएक बहुत बड़े सेना रानी कर्णावती की रक्षा के लिए चित्तौड़ भेज दिए जिससे बहादुर शाह की सेना को पीछे हटना पड़ा
रक्षाबंधन पर निबंध
रक्षाबंधन हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है यह पर्व भारत के कोने कोने में मनाया जाता है इस दिन बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधती है रक्षाबंधन के दिन बाजार की दुकानों में राखी सजी होती है जहां से बहन अपने भाई के लिए राखी खरीदती है राखी एक ऐसा त्यौहार है जिसमें भाई जहां भी होता है अपनी बहन से राखी बंधवाने के लिए बहन को अपने घर बुलाते हैं या फिर बहन के घर जाकर राखी बंधवाते हैं रक्षाबंधन के दिन बहन भी अपने भाई का बेसब्री से इंतजार करते हैं और अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर भाई बहन के रिश्ते को मजबूत करती है
सारांश
आज हमने आपको बताया कि
2022 में रक्षाबंधन कब है
Rakshabandhan subh muhurat 2022
रक्षाबंधन बनाने की विधि
रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन कब शुरू हुआ
रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन को रक्षा करने का वचन क्यों देता है
रक्षाबंधन का अर्थ
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है
रक्षाबंधन का इतिहास
रक्षाबंधन की कहानी
यह सारी जानकारी आज हमने आपको दी है मुझे आशा है कि हम आप जान गए होंगे कि 2022 में रक्षाबंधन कब है और रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन कब शुरू हुआ और रक्षाबंधन का इतिहास क्या है अगर इससे जुड़े कोई सवाल हो तो कमेंट में हमें जरूर बताएं हम इसका जवाब तुरंत देंगे
कोई टिप्पणी नहीं:
Write comment