छठ पूजा क्यों मनाई जाती है और इनके पीछे क्या धारणाएं हैं
आज हम बताने जा रहे हैं कि छठ पूजा क्यों मनाई जाती है और इसके पीछे क्या धारणाएं है छठ महापर्व की शुरुआत कैसे हुआ अर्घ देने की परंपरा कब से शुरू हुआ कब से शुरू हुआ और छठ पर्व कब मनाया जाता है छठ पर्व हिंदुओं का हिंदुओं का सबसे बड़ा महा पर्व है यह पर्व स्त्री और पुरुष समान रूप से मनाते हैं कार्तिक के शुक्ल पक्ष षष्ठी मैं मनाए जाने वाले इस पर्व छठ कहा जाता है
भारत में छठ उपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है यह सूर्य षष्टि व्रत होने होने के कारण इसे छठ व्रत कहा गया है
यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है पहली बार चैत्र में दूसरी बार कार्तिक में शुक्ल पक्ष को या पर्व मनाया जाता है जिसे कार्तिक छठ कहा गया है यह पूजा करने के पीछे क्या धारणाएं है आज हम आपको बताने वाले हैं हिंदुओं की सबसे बड़ी पर्व दीपावली को पर्व कि माला माना जाता है 5 दिन तक चलने वाला यह पर्व भैया दूज तक ही सीमित नहीं है उत्तर प्रदेश और खासकर बिहार में मनाया जाने वाला यह पर्व बेहद अहम पर्व है जो पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है
इसके पीछे कई ऐतिहासिक कहानियां प्रचलित है
1 छठ व्रत की कथा
पुराण में छठ पूजा छठ पूजा के पीछे की कहानी इस प्रकार है राजा पियम्वर को कोई संतान नहीं था तब महर्षि कश्यप ने पुत्र की प्राप्ति के लिए यज्ञ करा कर पियम्वर कि पत्नी मालिनी को आहुति से बनाई गई खीर दी जिससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई
लेकिन उसका पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ वह अपने पुत्र को लेकर शमशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगेगा उसी वक्त भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुई और राजा से कहा कि वह सृष्टि के मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई है इसी कारण वह षष्ठी कहलाती है
राजा को उनकी पूजा करने और दूसरों को पूजा करने के लिए प्रेरित करने को कहा राजा पिय्मवर पुत्र इच्छा के लिए देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई है और पूरा जीवन सुख पूर्वक बिताया कहते हैं यह पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को हुई थी इसीलिए इसे छठ व्रत कहा गया है
2 सीता जी ने भी की थी छठ व्रत
पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब राम सीता 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे
राम ने रावण का वध किया था रावण ब्राह्मण का पुत्र था रावण का वध करने से राम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा था
ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए उन्हें ऋषि-मुनियों के आदेश पर यज्ञ करने का निश्चय किया यज्ञ के लिए मुद्गल ऋषि को आमंत्रित किया मुगल ऋषि ने मां सीता पर गंगाजल से पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्य देव की उपासना करने का आदेश दिया जिसे सीता जी ने मुद्दल ऋषि के आश्रम में रहकर सूर्य देव की पूजा की थी तभी से छठ पर्व मनाया जा रहा है
3 कर्ण ने शुरुआत की थी अर्घ देने की परंपरा
एक मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई इसकी शुरुआत सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके की थी
कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वह रोज घंटों कमर भर पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे की कृपा से ही सूर्योदय के बाद युद्ध में कोई भी योद्धा उसे परास्त नहीं कर पाते थे सॉरी के कृपा से मिले हुए कवच और कुंडल को कोई भी अस्त्र भेद नहीं पाता था और वह सूर्य के कृपा से एक महान योद्धा बने आज भी छठ में अर्घ की यही परंपरा प्रचलित है
आज भी छठ पूजा के समय जल मैं लंबे समय तक खड़ा रहकर अर्घ् दिए जाते है यह पर्व किसी के लिए वर्जित नहीं है छठ महापर्व को स्त्री पुरुष बूढ़े जवान सभी लोग करते हैं
छठ पर्व कब शुरू हुआ
मान्यता है कि देवमाता अदिति कथा के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में असुरों के हाथों देवता देवमाता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवरन्य के देव मंदिर में छठी मैया का आराधना किया था तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था
इसके बाद आदित्य के पुत्र हुए त्रिदेव रूप आदिति भगवान जिन्होंने असुरों को युद्ध में हरा कर देवताओं को विजय दिलाई कहते हैं कि उसी समय से देवसेना षष्ठी देवी के नाम पर इस धाम का नाम देव हो गया और छठ का चलन भी शुरू हो गया यह स्थान देव बहार के सासाराम गया आरा के आसपास कहीं पर स्थित है और वहां पर छठ में इतनी भीड़ होती है वहां हजारों और लाखों की संख्या में श्रद्धालु सिर्फ अर्घ देने आते हैं
और इतनी बड़ी भीड़ होती है कि घाट पर अर्घ देने के लिए भी टोकन कटाए जाते हैं
लोक परंपरा के अनुसार छठी मैया और सूर्य देव भाई बहन हैं इसलिए छठ पर्व में सूर्य देव और छठी मैया दोनों की पूजा होती है
अंतिम शब्द
आज हमने आपको बताया कि छठ पूजा क्यों मनाई जाती है यह कब शुरू हुआ । और छठ पूजा क्यों मनाया जाते हैं। और इसके पीछे क्या धारणाएं हैं
Great post
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