रविवार, 3 अक्टूबर 2021

रिश्तों मैं दूरियां क्यों बढ़ रही है और इस् दुरियां को हम कैसे मिटाएं

 रिश्तो में दूरियां क्यों बढ़ रही है और इस दूरियां को हम कैसे मिटाएं

दोस्तों आज हम बताने जा रहे हैं कि रिश्तो में दूरियां क्यों बढ़ रही है और हम उस दूरी को मिटा कर आपसी प्रेम को कैसे बढाए हम आपको रिश्तो की उस गहराई में लेकर चलेंगे जहां को रिश्तो की अहमियत समझ में आएगा और आप रिश्तो की कदर करना सीख जाएंगे आप जान पाएंगे कि रिश्ता क्या होता है और रिश्ता कैसे निभाया जाता है





पहले लोग रिश्तेदारों से मिलने के लिए उनके घर जाते थे वहां उनकी खातिरदारी होती थी खाना- खाने के बाद रात को सब एक जगह बैठते और उनका हालचाल पूछा जात। लेकिन अब नहीं जब से यह मोबाइल। आया है तब से सभी लोग बस फोन में ही व्यस्त रहने लगे दिन में लोग अपना दैनिक कार्य करते हैं और जब फुर्सत मिलता है तो आपने फोन मैं फेसबुक और व्हाट्सएप में लोग व्यस्त हो जाते हैं । अब जाना तो दूर की बात है अब हाल चाल पूछने का भी समय नहीं निकाल पाते हैं अगर कोई काम हो तो ही हमें रिश्तेदारों के यहां कॉल करते हैं

पहले के जमाने में रिश्ता कैसे निभाया जाता था




इससे पहले के जमाने में रिश्तो में गहराई थी। सभी कार्य में लोग एक साथ मिलकर करते थे दिन में चार लोग बैठकर आपस की बातें किया करते थे यदि किसी के घर में टीवी रहता था उसे देखने के लिए पूरा गांव इकट्ठा हो जाता था और सब साथ मिलकर टीवी पर धार्मिक सीरियल देखते थे

और उस समय टीवी पर भी रामायण जैसी सीरियल दिखाया जाता था जिसमें यह दिखाया जाता था कि बड़ों का आदर कैसे किया जाए प्रभु श्री राम सीता की आज्ञा मानकर 14 वर्ष को वनवास को चले गया


इससे आज्ञाकारी पुत्र होने का सिख मिलता था । बनवास तो राम को मिला था लेकिन उसके साथ माता सीता जो दशरथ की पुत्री थी। जो महलों में पड़ी वाली थी उनकी सेवा करने के लिए हजारों दासिया थी वह महलों की सारी सुख सुविधाओं को छोड़कर अपने पति श्री राम के साथ बन को चली गई जो प्रभु श्रीराम के दुख को अपना दुख समझे और दुख में भी अपने पति का साथ दिया । । इससे एक पत्नी को अपने पति के प्रति क्या कर्तव्य है करता है कसे पति का सम्मान करना चाहिए वह देखते समझते हैं और अपना जीवन में वैसा ही व्यवहार करती थी और अपने पति का सम्मान करती थी उनके भाई लक्ष्मण भी अपने भाई और भाभी की सेवा के लिए उनके साथ वन को चले गए अयोध्या के राजगद्दी भारत को मिला लेकिन उसने देखा कि हमारे बड़े भाई श्री राम वन में है वन । बन में कांटे और कंकड़ पर नंगे पांव चलेंगे भूमि पर विश्राम करेंगे कंद मूल फल खाएंगे और हम यहां राजमहल में रहकर राज की सुखों का आनंद लें भरत ने भी राजमहल के सुखों को त्याग दिया 

और एक कुटिया में रहकर 14 वर्षों तक भगवान श्री राम के आने का इंतजार किया इससे लोगों को में भाई भाई का प्रेम समझने को मिलता है । प्रभु श्री राम ने शबरी के जूठे बेर खाए इससे भगवान और भक्तों की प्रेम और भावनाओं की बीच   रिश्तो का एक अनोखा उदाहरण देखने को मिलता है

 लेकिन आजकल।     बड़े-बड़े एलईडी अपने घरों में लगा कर रखे हैं आप पहले जैसे एक समूह में एक साथ बैठकर कोई नहीं देखता पहले तो गांव में शायद ही किसी के पास एक टीवी होता था लेकिन अब हर घर में दो-तीन मिलेगा आजकल भोजपुरी और बॉलीवुड मैं इतने गंदे सीन दिखाया जाते हैं कि परिवार के साथ में बैठकर देखने के लायक नहीं होता है और सबकी अपनी अपनी अलग अलग एलईडी टीवी हो गए हैं उसमें भी लोग अब ज्यादातर भोजपुरी मूवी नागिन सास बहू जैसे सीरियल देखते हैं इसमें भी कभी सास खलनायक होती तो कभी बहू खलनायक होती है आपस की प्रेम कम और सास बहू की तनाव ज्यादा दिखाया जाता है कि कैसे भाई  भाई भाई में फुट  । डाला जाता है भाई भाई को कैसे अलग किया जाता है सास बहू में झगड़ा कैसे होता है लड़के लड़की भाग कर शादी करते हैं जिसे love marredege कहा जाता है
ज्यादातर लोग इसी तरह का मूवी और सीरियल देखना पसंद करते हैं लोग जैसा देखेंगे उसके अंदर फीलिंग भी उसी तरह आएगी । जैसे टीवी और मोबाइल पर दिखाया जाता है जिससे हर घर में सास बहू देवरानी जेठानी मैं हमेशा तनाव बना रहता है यह हमेशा एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं पत्नी पति का कान भरने लगते हैं जिससे वह अपने जन्म देने वाली मां बाप को भी सेवा नहीं करते हैं और अपने आपको उनसे अलग कर लेते हैं






बेटा अपना उस मां-बाप को छोड़ देते हैं जिसने उसे जन्म दिया 9 महीने तक आपने कोख में रखा उसका पालन पोषण किया उसे पढ़ाया लिखाया उसे इस काबिल बनाया कि अपने जीवन का गुजारा। कर सके लेकिन पत्नी आज आने के बाद वही बेटा अपने मां बाप का सेवा नहीं कर पाते हैं


माता-पिता अपने आपको बच्चे से कैसे दूर कर रहे हैं

इससे हमें एक कहानी के रूप में बताने जा रहे हैं इसे ध्यान से पढ़िए और इनके गहराइयों को समझिए आपको खुद पता चल जाएगा कि बच्चे अपने माता-पिता से कैसे दूर हो रहे हैं






एक टीचर थी स्कूल में बच्चों को अपने विचारों पर निबंध लिखने को दी थी और वह सारे बच्चों की नोट्स की जांच कर रही थी उनका पति सुरेश भी वही बगल में बैठ कर अपने फोन में दोस्तों के साथ चैटिंग कर रहा था टीचर कहां पर जांच करते करते अचानक से रुक गई उनकी आंखों से आंसू बहने लगे वह अपने आंसू पूछते हुए अपने पति सुरेश से कहा कि देखिए ना जी एक बच्ची ने क्या लिखी है सुरेश अपने फोन में व्यस्त यह सुन लिया और फिर से अपने फोन में व्यस्त हो गए टीचर ने अपने पति से दोबारा वही बात कही सुरेश अपने फोन चलाते हुए बोलता है अरे क्या लिखा है जो तुम इतने भावुक हो रही हो चलो तुम ही पढ़कर सुना दो टीचर उस नोट्स को पढ़ती है

हमारे मम्मी पापा दिन भर बाहर अपने काम में रहते हैं रात में जब घर आते हैं तो पापा अपने फोन में व्यस्त हो जाते हैं मम्मी भी स्कूल का बचा हुआ काम रात को जल्दी जल्दी निपटा कर वह भी अपना मोबाइल लेकर उसमें व्यस्त हो जाते हैं हमारे लिए उनके पास थोड़ा सा भी वक्त नहीं बचता है ना ही हमें प्यार करती है

। और ना ही अपने हाथों से हमें खाना खिलाती है ना हमें कभी बाहर घुमाने ले जाते हैं काश मैं भी एक । मोबाइल होता कम से कम। उसके पास तो रहता हमारे लिए उनके पास थोड़ा सा भी वक्त नहीं है लेकिन वह मोबाइल को रात 12:00 बजे तक चलाते हैं फोन चलाते चलाते हो जब नींद आने लगती है तो उसे सीने पर रख कर सो जाते हैं अगर मैं भी मोबाइल होता इसी बहाने कम से कम उनके पास तो रहता

यह सुनकर सुरेश बोला अरे तो क्या हुआ इस बच्ची ने बहुत बढ़िया लिखि है लेकिन इस बात को सुनकर उसे बड़ा जोर का झटका लगा कि वह लिखने वाली कोई और नहीं उनकी अपनी ही बेटी है मानो उनके नीचे से जमीन खिसक गई वह बोल उठा क्या या अपनी बेटी ने लिखी है अपनी बेटी ने फिर मानो आवाज ही बंद हो गई वह अपना फोन फेंक कर अपने पत्नी के पास आता है और एक एक शब्द को बड़ा ध्यान से पढ़ता है

और बोलता है कि इस फोन को चलाते-चलाते हम यह भूल ही गए कि हमारी बेटी हमसे इतनी दूर हो रही है हम उसे मां बाप का प्यार नहीं दे पा रहे हैं लेकिन अब नहीं वह अपने सोते हुए बेटी को उठाती है और अपने सीने से लगा लेती है माता पिता बारी बारी से अपने बेटी की माथा चूमने लगती है। और उससे अपने सीने से लगाकर प्यार करने लगता है उसे अपने भूल का  एहसास होता है 

रिश्तों मैं  बढ़ रही दूरियों को हम कैसे मिटाएं

हमें। सबसे पहले अपने आप को बदलना होगा क्योंकि इंसान नकलची होता है


जैसा व्यवहार आप करते हैं वही बच्चे सीखते हैं । और अपने जीवन में वैसा व्यवहार करते हैं


। हमें अपने बच्चों को वही पुस्तक लाकर देते हैं जो विद्यालय में पढ़ाया जाता है अगर हम वही रामायण और गीता पुस्तक की एक एक । श्लोक रोज पढ़ाया जाए और उनका अर्थ उसे समझाया जाए तो वही तो वही बच्चा उसका क्या कर्म है उसका ज्ञान मिलेगा भाई भाई के प्रेम को समझेंगे माता-पिता का आज्ञा मानेंगे माता-पिता का आदर करेंगे पति पत्नी के रिश्ते को समझेंगे और बिखरे हुए रिश्ते को जोड़ने का प्रयास करेंगे


कबीर जी के दोहे

रहिमन धागा प्रेम का।  
              मत तोड़ो चटकाय
    टूटे से फिर ना जुड़े
             । जुड़े गांठ पड़ जाए

। अर्थात -कवीर जी इस दोहे के माध्यम से प्रेम और रिश्तो का एक अनोखा उदाहरण दिए हैं कि प्रेम एक धागे की तरह और रिश्ता एक डोर की तरह रिश्तो को हमें सदैव संभाल कर रखना चाहिए अगर रिश्ते की डोर एक बार टूट जाए तो उसे जोड़ना  बहुत मुश्किल होता है अगर किसी भी तरह वह रिश्ता जुड़ भी जाता है लेकिन उसमें पहले जैसा प्रेम और भाव नहीं रहता है यानी उन रिश्तो में गांठ पड़ जाती है

अंतिम शब्द


इसे पढ़कर अगर किसी को रिश्तो की अहमियत समझ में आ जाए तो हम अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझेंगे एक बच्चे को उनका मां-बाप मिल जाए मां बाप को बच्चों का प्यार मिले भाई भाई आपस में प्रेम करें। रिश्ते एक मोती और माला की तरह जिसमें मोती तो अलग अलग होते हैं लेकिन एक ही धागे में । फिरोए जाते हैं और वह किसी के गले का हार बनकर
 उनकी शोभा बढ़ाती है

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